Raksha Bandhan 2025: देशभर में शनिवार को रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। यह पर्व भाई-बहन के प्यार और विश्वास का प्रतीक है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार और सुरक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन पर सीमाओं पर तैनात सैनिकों को भी राखी भेजी जाती है। विभिन्न संगठन, स्कूल और सामाजिक समूह देश के जवानों के लिए राखी भेजने के अभियान चलाते हैं। ये राखियां डाक सेवाओं, विशेषकर भारत पोस्ट के माध्यम से, या स्वयंसेवी संगठनों द्वारा बॉर्डर पर तैनात सैनिकों तक पहुंचाई जाती हैं। चेन्नई की रहने वाली रेवती गणेशन 1998 से हर साल देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को हजारों राखियां भेजती है।
रेवती गणेशन चेन्नई में रहती हैं और कई महीनों से राखी परियोजनाओं पर काम कर रही है। रेवती गणेशन के मन में जवानों को राखी भेजने का विचार नहीं था बल्कि एक गहरी प्रेरणा थी। इसी प्रेरणा की बदौलत वह हर साल सैनिकों को हजारों राखियां भेजती है। वह सैनिकों को रक्षाबंधन पर एक पैकेट भेजती हैं। इसमें राखी के अलावा मिठाइयों के छोटे-छोटे उपहार भी होते है।
चेन्नई की रहने वाली रवेती गणेशन ने 1998 में कोयंबटूर बम विस्फोटों के बाद जवानों को राखी भेजना शुरू किया था। अपने शहर में शांति करने के लिए उसके मन में जवानों को देखकर उन्हें धन्यवाद देने की इच्छा जागी, तो उसने जवानों को राखी बांधने का फैसला किया।
रेवती गणेशन ने उस समय जवानों को अपने हाथ से राखी बांधी थी। जब वह जवानों को राखी बांध रही थी, तभी एक जवान राखी बंधवाने के समय रो पड़ा था और एक अन्य जवान ने बदले में कुछ देने के लिए अपने जेब खाली कर दी थी। यह दोनों वाकये आज भी रेवती गणेशन को याद है।
1998 से रेवती गणेशन का प्रोजेक्ट 500 राखियों से बढ़कर इस साल 5 हजार राखियों तक पहुंच गया है। दरअसल, वह मार्च में राखियां बनाना शुरू करती हैं और इस बार उन्हें स्कूली बच्चों से भी मदद मिली।
रेवती का मानना है कि उनकी राखियां सिर्फ धागे से कहीं ज़्यादा हैं। ये सशस्त्र बलों के प्रति एकता, सम्मान और प्रेम का प्रतीक हैं। वह कहती हैं, "मैं एक दिन हर जवान को राखी भेजने की उम्मीद करती हूं ताकि हर जवान को पता चले कि उनकी कितनी कद्र है।
Published on:
08 Aug 2025 10:00 pm