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सदियों बाद रूस के क्रोनोत्स्की ज्वालामुखी में सबसे व्यापक गतिविधि, 9.2 किमी ऊंचा उठा राख का गुब्बारा

रूस के कामचटका प्रायद्वीप पर स्थित क्रोनोत्स्की ज्वालामुखी में शनिवार को समुद्र तल से से 9.2 किलोमीटर ऊंचा राख का गुबार उठा। इससे पहले कामचटका में इतनी व्यापक ज्वालामुखी गतिविधि 1737 में हुई थी।

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भारत

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Himadri Joshi

Oct 04, 2025

Russia's Kronotsky volcano

रूस का क्रोनोट्स्की ज्वालामुखी (फोटो- आईएएनएस)

रूस के कामचटका प्रायद्वीप पर स्थित क्रोनोत्स्की नामक ज्वालामुखी में शनिवार को समुद्र तल से से 9.2 किलोमीटर ऊंचा राख का गुबार निकला है। स्थानीय समय के अनुसार यह घटना सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर हुई है। अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुसार यह समय शुक्रवार रात 11 बजकर 50 मिनट था। ज्वालामुखी से निकला यह राख का गुब्बारा लगभग 85 किलोमीटर दूर तक, ज्वालामुखी के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व दिशा में फैल गया। यह जानकारी कामचटका ज्वालामुखी विस्फोट प्रतिक्रिया दल के टेलीग्राम चैनल ने दी है।

उड़ानों के लिए एक लाल विमानन रंग कोड जारी

स्थानीय न्यूज एजेंसी के अनुसार, इस घटना के बाद स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों तरह की उड़ानों के लिए एक लाल विमानन रंग कोड जारी किया गया है। यह कोड आमतौर पर किसी सक्रिय ज्वालामुखी के फटने या उससे निकलने वाली राख के कारण जारी किया जाता है, जो विमानों के लिए बेहद खतरनाक होती है। यह ज्वालामुखी क्षेत्रीय राजधानी पेट्रोपावलोव्स्क-कामचात्स्की से से लगभग 225 किलोमीटर और क्रोनोत्स्कोये झील से 10 किलोमीटर पूर्व में स्थित है। कामचटका प्रायद्वीप में छह ज्वालामुखी फटने के कुछ ही महीनों बाद यह घटना हुई है। वैज्ञानिकों ने इसे असामान्य घटना बताया है।

इससे पहले इतनी व्यापक ज्वालामुखी गतिविधि 1737 में हुई थी

रूसी विज्ञान अकादमी के की सुदूर पूर्वी शाखा के ज्वालामुखी और भूकंप विज्ञान संस्थान के निदेशक, एलेक्सी ओज़ेरोव ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि, हमारे आंकड़ों के अनुसार, कामचटका में पिछली बार इतनी व्यापक ज्वालामुखी गतिविधि 1737 में हुई थी। यह गतिविधि 9 तीव्रता वाले एक बड़े भूकंप के बाद हुई थी। उन्होंने आगे कहा, 30 जुलाई को आए शक्तिशाली भूकंप ने शायद इस गतिविधि को फिर से सक्रिय कर दिया है। यूरोपीय वैज्ञानिक यूरी डेम्यांचुक ने कहा कि, उन्होंने अपने पांच दशकों के काम करने के इतिहास में कामचटका क्षेत्र में इतनी व्यापक ज्वालामुखी गतिविधि पहले कभी नहीं देखी है।