
पंजाब में आज 'पंजाब बचाओ' आंदोलन (IANS)
आज पंजाब की बेचैनी चंडीगढ़ की सड़कों पर दिखने के आसार हैं। पंजाब यूनिवर्सिटी से उठी चिंगारी गांव-खेत और चौपालों से होते हुए अब सेक्टर-43 और यूनिवर्सिटी के गेट तक एक आंदोलन का रूप ले सकती है। सीनेट चुनाव और शिक्षा के मुद्दे पर शुरू हुई यह लड़ाई अब ‘पंजाब बचाओ’ आंदोलन में तब्दील हो चुकी है। पत्रिका की पड़ताल में सामने आया है कि बुधवार को होने वाला यह प्रदर्शन महज धरना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित 'शक्ति प्रदर्शन' है।
आंदोलन के अगुवा किसान संगठन एसकेएम के प्रतिनिधि रमिंदर पटियाल ने बताया कि अलग-अलग जिलों से ट्रैक्टर के साथ चंडीगढ़ पहुंचने की तैयारी कर ली गई है। वे पिछले 2 दिन से पंजाब के उन गांवों में जा रहे हैं जहाँ से भीड़ को लाने की तैयारी हो रही है। हर गांव में इसकी जिम्मेदारी सरपंच को सौंपी गई है। आंदोलन के पोस्टर एक दिन पहले ही गांव-गांव पहुंचा दिए गए। आंदोलन लंबा खिंचने पर बारी-बारी से भोजन की व्यवस्था का भी जिम्मा सौंपा गया है।
मंगलवार को चंडीगढ़ के करीबी गांवों में आंदोलन को लेकर एक अज्ञात उत्साह नजर आया। लगभग हर गांव और किसान के फोन के व्हाट्सऐप पर ‘पंजाब बचाओ’ तथा ‘यूनिवर्सिटी बचाओ’ जैसे भावनात्मक संदेश तैर रहे थे। संगठनों ने छात्रों के मुद्दे को पंजाब से चंडीगढ़ को अलग करने से जोड़ दिया, जबकि गांवों के बुजुर्गों का कहना है कि यह पंजाब की विरासत को बचाने की लड़ाई है।
सेक्टर-43 में शक्ति प्रदर्शन: सुबह 9 बजे हजारों की संख्या में किसान सेक्टर-43 के दशहरा ग्राउंड में जुटेंगे।
टोटल ब्लॉकेड: भीड़ का एक बड़ा हिस्सा सीधे पंजाब यूनिवर्सिटी कूच करेगा। प्लान है—यूनिवर्सिटी के सभी गेट्स को बाहर से पूरी तरह ब्लॉक कर देना। अंदर छात्र ऑफिस को बंद कराएंगे और किसी भी कीमत पर एग्जाम नहीं होने देना है।
ट्रैक्टर तैयार: ट्रैक्टरों में बिस्तर रखे गए हैं। संकेत है कि अगर सरकार ने बात नहीं मानी तो प्रदर्शनकारी लंबे समय तक डटे रह सकते हैं।
प्रशासन और पुलिस ने बैरिकेडिंग की तैयारी कर ली है, लेकिन किसान नेताओं और छात्रों का रुख बेहद सख्त है। यूनिवर्सिटी छात्र गगन और अवतार सिंह ने पत्रिका से बातचीत में स्पष्ट चेतावनी दी, “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपना हक मांग रहे हैं, लेकिन अगर पुलिस ने बल प्रयोग किया तो जवाब ‘पूरी ताकत’ से दिया जाएगा। जो होगा, उसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
यूनिवर्सिटी ने 26 को एग्जाम कराने का निर्णय लिया है, जबकि छात्र उन्हें निरस्त कराने पर अड़े हैं। धरने का नेतृत्व कर रहे अवतार सिंह ने बताया कि 25 नवंबर को यूनिवर्सिटी की ओर से नोटिफिकेशन लगाए जाने की बात कही गई थी, लेकिन अभी तक कोई नोटिस नहीं आया। इससे छात्रों में गुस्सा है।
अवतार सिंह ने बताया कि पंजाब यूनिवर्सिटी को बचाने के मुद्दे पर उन्हें निहंग सिखों का समर्थन मिला है। अगर प्रशासन और छात्र-किसान-बिजली कर्मचारी समर्थित आंदोलन में कोई टकराव होता है, तो मामला और बड़ा हो सकता है। छात्र नेता और किसान संगठनों का कहना है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो 26 को पंजाब के सभी वर्गों के लोगों को चंडीगढ़ बुलाया जाएगा। आंदोलन को जिंदा रखने के लिए हर गांव को रोटेशन वाइज यूनिवर्सिटी में खाना पहुंचाने की जिम्मेदारी दी गई है।
Updated on:
26 Nov 2025 09:45 am
Published on:
26 Nov 2025 09:42 am
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