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तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, योजनाओं में सीएम स्टालिन की फोटो लगाने की मिली अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता एआईएडीएमके सांसद को इस बात के लिए फटकार लगाई कि उन्होंने तमिलनाडु सरकार और उसके मुख्यमंत्री पर निशाना साधा, जबकि ऐसी ही योजनाएं अन्य राज्यों में भी मौजूद हैं।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (Photo - IANS)

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तमिलनाडु को बड़ी राहत दी है। शीर्ष कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें राज्य सरकार की योजनाओं में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नाम के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी।

सु्प्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को लगाई फटकार

कोर्ट ने याचिकाकर्ता अन्नाद्रमुक सांसद सी वी षणमुगम को राज्य सरकार और उसके मुख्यमंत्री को निशाना बनाने के लिए फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसी ही योजनाएं अन्य राज्यों में भी मौजूद हैं। लाइव लॉ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब ऐसी योजनाएं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम पर शुरू की जाती हैं, तो हम याचिकाकर्ता की केवल एक राजनीतिक दल और एक राजनीतिक नेता को चुनने की बेचैनी को नहीं समझते।

मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को किया खारिज

मद्रास हाईकोर्ट का वह आदेश जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज किया, जिसे 31 जुलाई को पारित किया गया था। इसने सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में पूर्व मुख्यमंत्रियों या जीवित राजनीतिक हस्तियों के नामों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था।

सीएम की फोटो और पार्टी प्र​तीक पर लगाई थी रोक

मद्रास हाईकोर्ट के आदेश में सत्तारूढ़ द्रमुक सहित किसी भी जीवित व्यक्ति के नाम, पूर्व मुख्यमंत्रियों या वैचारिक नेताओं की तस्वीरों और राजनीतिक दलों के पार्टी प्रतीकों, चिन्हों या झंडों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी।

जानिए क्या था हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी योजना के नामकरण में किसी जीवित राजनीतिक व्यक्ति का नाम शामिल करना स्वीकार्य नहीं होगा। इसके अलावा, किसी भी सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के नाम, उसके प्रतीक चिन्ह/लोगो/प्रतीक/झंडे का उपयोग करना भी प्रथम दृष्टया सर्वोच्च न्यायालय और भारत के चुनाव आयोग के निर्देशों के विरुद्ध प्रतीत होता है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति सुंदर मोहन की पीठ ने सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर लगाया 10 लाख का जुर्माना

बुधवार को इस आदेश को रद्द करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता सांसद पर ₹10 लाख का जुर्माना लगाया और इस शर्त के साथ राज्य सरकार के पास यह राशि जमा करने का निर्देश दिया कि इस राशि का उपयोग वंचितों के लिए योजना के लाभ के लिए किया जाए। उच्चतम न्यायालय ने अदालतों को राजनीतिक विवादों से दूर रखने पर भी जोर दिया है।