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पोस्टमॉर्टम के बाद मोर्चरी से गायब हुआ शव, मचा हड़कंप और फिर सच्चाई जान उड़े अफसरों के होश

लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि एक परिवार ने गलती से दूसरे व्यक्ति का शव अपने रिश्तेदार समझकर अंतिम संस्कार कर दिया।जब असलियत सामने आई तो परिवार के पैरों तले ज़मीन खिसक गई और हंगामा मच गया।

2 min read

भारत

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Siddharth Rai

Oct 04, 2025

Jharkhand Crime

दिल्ली में पोस्टमॉर्टम हाउस से शव हुआ गायब (प्रतीकात्मक तस्वीर)

दिल्ली से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। संजय गांधी अस्पताल में लापरवाही की ऐसी घटना घटी, जिसने सबको चौंका दिया। जानकारी के अनुसार, अस्पताल में दो शव पहुंचे थे, एक व्यक्ति ने आत्महत्या की थी, जबकि दूसरे की मृत्यु छत से गिरने के बाद हुई थी। दोनों शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया, लेकिन प्रक्रिया के दौरान अस्पताल कर्मियों ने दोनों शवों की अदला-बदली कर दी।

इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि एक परिवार ने गलती से दूसरे व्यक्ति का शव अपने रिश्तेदार समझकर अंतिम संस्कार कर दिया। बाद में जब असलियत सामने आई तो परिवार के पैरों तले ज़मीन खिसक गई और हंगामा मच गया। बुधवार को दिल्ली के प्रेम नगर के निवासी प्रदीप कुमार को एक फोन कॉल आया, जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके भाई पंकज कुमार का एक्सीडेंट हो गया है।

प्रदीप कुमार ने बताया, "मेरी भाभी ने फोन करके कहा कि पंकज छत से गिर गया है। उन्होंने मुझसे तुरंत अस्पताल पहुंचने को कहा।" सूचना मिलने के बाद पुलिस कंट्रोल रूम (PCR) को खबर दी गई, और 40 वर्षीय पंकज को संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया, जहां गंभीर चोटों के कारण उनकी मौत हो गई। उनका शव पोस्टमॉर्टम के लिए शवगृह में रखा गया।

इसी दौरान नांगलोई इलाके के 45 वर्षीय भरत भूषण का शव भी पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल लाया गया। भरत भूषण की मौत आत्महत्या से हुई थी। भरत भूषण के साले गोपी ने कहा, "हमें शव पोस्टमॉर्टम से पहले और बाद में दिखाया गया था। लेकिन घर पर हमने शव को सार्वजनिक दर्शन के लिए खोला नहीं। सभी तैयारियां पहले से ही कर ली गई थीं, इसलिए जैसे ही शव घर पहुंचा, हमने प्रार्थना की और उसे अंतिम संस्कार के लिए ले गए।"

लेकिन, भूषण परिवार ने अनजाने में पंकज कुमार का ही अंतिम संस्कार कर दिया। भूषण की पत्नी लता ने आरोप लगाया कि शव उन्हें दूरी से दिखाया गया था, और इस दौरान वह सदमे में थीं, जिससे दोनों शवों की अदला-बदली हो गई। लता ने कहा, "हमने केवल आंखें ही देखीं। जब हमें मेरे पति की तस्वीर दिखाई गई, जो अभी भी शवगृह में हैं।"

गुरुवार को, जब पंकज के परिवार वाले शव लेने अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि उनके परिवार का सदस्य पहले ही अंतिम संस्कार कर दिया गया है। प्रदीप कुमार ने बताया, "शुरुआत में मुझे बताया गया कि पोस्टमॉर्टम अभी हुआ नहीं है। फिर कहा गया कि वे शव ढूंढ रहे हैं और बिजली की समस्या के कारण शव को ढूंढना मुश्किल हो रहा है। बाद में सहायक जांच अधिकारी अनुप ने मुझे बताया कि मेरे भाई का शव गलती से किसी और को दे दिया गया है।”

पंकज कुमार के परिवार ने अस्पताल पर शवों को संभालने में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि उचित पहचान प्रक्रिया सुनिश्चित नहीं की गई। पंकज के भाई ने मामले की जांच की मांग करते हुए पुलिस उपायुक्त को लिखित शिकायत भी दी है।