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अमित शाह समेत इन मंत्रियों के बैठने की जगह हो गई चेंज, जानें नया पता

Kartavya Bhawan: कर्तव्य भवन-3 केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देस्य विभिन्न मंत्रालयों को एक ही छत के नीचे लाना है। 

भारत

Ashib Khan

Aug 06, 2025

गृह और विदेश मंत्रालय अब कर्तव्य भवन में शिफ्ट होंगे (Photo-IANS)

Kartavya Bhawan Inauguration: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत कई मंत्रियों की बैठने की अब जगह चेंज हो गई है। अब ये मंत्री नई जगह पर बैठते हुए नजर आएंगे। बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर नवनिर्मित कर्तव्य भवन-03 का उद्घाटन किया है। दरअसल, इसमें गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) सहित कई प्रमुख सरकारी कार्यालय होंगे।

कहां बैठेंगे अमित शाह

गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय समते कई मंत्रालय कर्तव्य भवन में शिफ्ट होंगे। कर्तव्य भवन के तीसरे फ्लोर पर विदेश मंत्रालय होगा। वहीं 4th और 5th फ्लोर पर गृह मंत्रालय होगा। बहुत जल्द केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यहां बैठते हुए नजर आएंगे। 

सभी मंत्रालयों को एक ही छत के नीचे लाना उद्देश्य

बता दें कि कर्तव्य भवन-03 केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देस्य विभिन्न मंत्रालयों को एक ही छत के नीचे लाना है।

1.5 लाख वर्ग मीटर में फैला है कर्तव्य भवन-3

कर्तव्य भवन-03 1.5 लाख वर्ग मीटर में फैला हुआ है। इसमें दो बेसमेंट और सात मंजिल है। इसके अलावा इसमें 600 गाड़ियों की पार्किंग की भी सुविधा है। कर्तव्य भवन-3 में 24 मुख्य प्रेस कॉन्फ्रेंस रूम है और 26 छोटे कॉन्फ्रेंस भी हैं।

कर्तव्य भवन-3 की ये है विशेषताएं

दरअसल, कर्तव्य भवन- 03 को पारंपरिक कार्यालय भवनों की तुलना में 30 प्रतिशत कम ऊर्जा खपत के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें आंतरिक तापमान को नियंत्रित करने और शोर को कम करने के लिए कांच की विशेष खिड़कियां, अधिभोग सेंसर वाली एलईडी लाइटिंग, ऊर्जा-कुशल लिफ्ट और एक केंद्रीकृत ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली शामिल है। छत पर लगाए गए सौर पैनल प्रतिवर्ष 5.34 लाख यूनिट से अधिक बिजली उत्पन्न करेंगे।

पुराने भवनों का रख-रखाव हो रहा था महंगा

बता दें कि फिलहाल मंत्रालय पुराने भवनों में चल रहे थे, जो कि 1950 से 1970 के दशक में बनाए गए थे। ये भवन अब आधुनिक प्रशासनिक जरूरतों के लिए उपयुक्त नहीं हैं और इनका रख-रखाव महंगा है।