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Vote Chori: भारत की नागरिकता मिलने से पहले ही बन गई थी सोनिया गांधी की वोटर आईडी? भाजपा नेता ने शेयर की तस्वीर

भाजपा नेता अमित मालवीय ने सोनिया गांधी की वोटर आईडी को लेकर बड़ा दावा किया है। मालवीय ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता मिलने से पहले ही वोटर आईडी जारी हो गई थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की है जिसमें गांधी परिवार के नाम हैं

भारत

Mukul Kumar

Aug 13, 2025

कांग्रेस नेता सोनिया गांधी। (फोटो- IANS/X-@amitmalviya)

वोट चोरी का मामला इन दिनों देश भर में तूल पकड़ चुका है। विपक्ष लगातार इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार और चुनाव आयोग को घेर रहा है।

वहीं, चुनाव आयोग ने भी विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। इस बीच, भाजपा नेता अमित मालवीय ने एक ऐसी तस्वीर शेयर की है, जिससे सियासी जगत बवाल मच सकता है।

अमित मालवीय ने दावा किया है कि भारत की नागरिकता मिलने से पहले ही कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की वोटर आईडी बन चुकी थी।

मालवीय ने सबूत के तौर पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक तस्वीर भी शेयर की है। जिसमें गांधी परिवार के सभी सदस्यों का नाम है।

सोनिया गांधी ने चुनावी कानूनों का घोर उल्लंघन किया- भाजपा नेता

अमित मालवीय ने अपने पोस्ट में लिखा है कि सोनिया गांधी पहले से भारत की मतदाता सूची के साथ छेड़छाड़ करती रही हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जिससे साफ पता चलता है कि सोनिया गांधी ने चुनावी कानूनों का घोर उल्लंघन किया है।

शायद यही वजह है कि राहुल गांधी अयोग्य और अवैध मतदाताओं को नियमित करने के पक्ष में हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का विरोध कर रहे हैं।

मालवीय ने आगे लिखा कि मतदाता सूची में सोनिया गांधी का नाम पहली बार साल 1980 में आया था, जबकि इसके तीन साल बाद उन्हें भारत की नागरिकता मिली थी। 1980 में सोनिया गांधी के पास इतालवी नागरिकता थी, तब भी उनका नाम भारत की मतदाता सूची में था।

उस समय सोनिया गांधी का यह था पता

उस समय, गांधी परिवार प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आधिकारिक निवास, 1, सफदरजंग रोड पर रहता था। उस समय तक, उस पते पर पंजीकृत मतदाता इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी थे।

नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र की मतदाता सूची में 1 जनवरी, 1980 को अर्हता तिथि मानकर संशोधन किया गया। इस संशोधन के दौरान, सोनिया गांधी का नाम जोड़ा गया, जो मतदान केंद्र 145 के क्रम संख्या 388 पर नजर आया।

यह उस कानून का स्पष्ट उल्लंघन था, जिसके अनुसार मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए किसी व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। 1982 में भारी विरोध के बाद, उनका नाम सूची से हटा दिया गया। इसके बाद, 1983 में फिर से दिखाई दिया।

मालवीय ने कहा कि 1983 में भी खूब बवाल हुआ था। दरअसल, उस वर्ष मतदाता सूची के नए संशोधन में, सोनिया गांधी का नाम मतदान केंद्र संख्या 140 पर क्रम संख्या 236 पर दर्ज था। पंजीकरण की अर्हता तिथि 1 जनवरी, 1983 थी, जबकि उन्हें भारत की नागरिकता 30 अप्रैल, 1983 को प्रदान की गई थी।

दो बार मतदाता सूची में हुआ था खेल

दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि सोनिया गांधी का नाम मूल नागरिकता की आवश्यकता पूरी किए बिना दो बार मतदाता सूची में दर्ज हुआ। पहली बार 1980 में, जब वह इतालवी नागरिक थीं। इसके बाद, 1983 में, कानूनी रूप से भारत की नागरिक बनने से कुछ महीने पहले।

मालवीय ने आगे कहा कि हम यह भी नहीं पूछ रहे हैं कि राजीव गांधी से शादी करने के बाद उन्हें भारतीय नागरिकता स्वीकार करने में 15 साल क्यों लग गए। अगर यह घोर चुनावी कदाचार नहीं है, तो और क्या है?

क्या है कांग्रेस का आरोप?

गौरतलब है कि कांग्रेस बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर लगातार चुनाव आयोग पर सवाल उठा रही है। इसके साथ, चुनाव आयोग पर 'वोट चोरी' का भी आरोप लगा रही है।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हो रही है। आरोप है कि फर्जी वोटर्स मतदाता सूची में जोड़े गए हैं, जिसका फायदा भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस का कहना है कि महाराष्ट्र चुनाव में भी मतदाता सूची के छेड़छाड़ हुई थी. बड़े पैमाने पर फर्जी वोटर्स जोड़े गए थे।

कांग्रेस नेताओं ने यह तक आरोप दिया है कि चुनाव आयोग ने बिहार में बड़े पैमाने पर जीवित लोगों का नाम मतदाता सूची से काट दिया है और मृत लोगों का नाम जोड़ दिया है।