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गयाजी एयरपोर्ट के कोड ‘GAY’ पर BJP सांसद ने जताई आपत्ति तो LGBTQ एक्टिविस्ट हुए नाराज, माफी की मांग

BJP सांसद भीम सिंह ने गया एयरपोर्ट का कोड 'GAY' बदलने की मांग की है। उन्होंने इस कोड को असहज बताया है। बीजेपी नेता के इस बयान से LGBTQ एक्टिविस्ट नाराज हो गए।

गया

Ashib Khan

Aug 06, 2025

BJP MP भीम सिंह ने गया एयरपोर्ट का कोड बदलने की मांग (Photo-IANS)

Gaya Airport: बिहार के गयाजी एयरपोर्ट के कोड ‘GAY’ को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद भीम सिंह ने इस एयरपोर्ट के कोड को बदलने की मांग की है। बीजेपी सांसद भीम सिंह ने संसद में एक लिखित प्रश्न प्रस्तुत किया। इसमें BJP सांसद ने पूछा कि गयाजी एयरपोर्ट के लिए अंतर्राष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (IATA) कोड का उपयोग क्यों किया जा रहा है, जबकि यह कोड लोगों को असहज लगता है। वहीं बीजेपी सांसद के बयान से LGBTQ एक्टिविस्ट नाराज हो गए है और उन्होंने माफी की मांग की है।

बीजेपी सांसद ने कोड बदलने की मांग

बीजेपी सांसद भीम सिंह ने पूछा कि क्या सरकार इसे अधिक सम्मानजनक और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त कोड में बदलने पर विचार करेगी? इस सवाल का नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने जवाब दिया। उन्होंने इस दौरान इस तरह के अनुरोध पहले भी प्राप्त करने की बात स्वीकार की। 

क्या बोले मोहोल

सवाल का जवाब देते हुए नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि तीन अक्षर वाले कोड IATA द्वारा दिए जाते हैं, ताकि दुनियाभर के एयरपोर्ट की विशिष्ट पहचान की जा सके। गया के मामले में ‘GAY’ कोड इसी आधार पर दिया गया है। 

AIR India ने कोड में बदलाव की थी मांग

मंत्री मोहोल ने कहा कि इससे पहले एयर इंडिया ने IATA से मौजूदा कोड में बदलाव की मांग की थी। इस पर आईएटीए ने बताया कि प्रस्ताव 763 के प्रावधानों के तहत, तीन-अक्षरों वाले कोड स्थायी माने जाते हैं और इन्हें केवल असाधारण परिस्थितियों में ही बदला जाता है, जिनमें आमतौर पर हवाई सुरक्षा संबंधी चिंताएं शामिल होती हैं। हालांकि इस दौरान मंत्री ने यह बताया था कि एयर इंडिया ने यह अनुरोध कब किया था। 

LGBTQ एक्टिविस्ट ने माफी की मांग

बीजेपी सांसद भीम सिंह के बयान से एलजीबीटीक्यू एक्टिविस्ट नाराज हो गए है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सांसद द्वारा हमें अनैतिक बताना समुदाय की गरिमा को ठेस पहुंचाया जाता है। उन्हें खुद को यह समझाना होगा कि सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, व्यक्तिगत नैतिकता नहीं, बल्कि संवैधानिक नैतिकता ही शासन करती है। उन्हें समुदाय से माफ़ी माँगनी चाहिए।