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अमेरिका ने कब-कब भारत पर बनाया दबाव? लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी भी सिखा चुके हैं सबक

अमेरिका ने कई बार भारत पर प्रेशर बनाने की कोशिश की है, लेकिन भारत ने हमेशा डटकर मुकाबला किया है। इतिहास में अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध भी लगाए, लेकिन भारत ने कभी घुटने नहीं टेके और अपने हितों की रक्षा की है। भारत ने अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को बनाए रखा है।

भारत

Mukul Kumar

Aug 07, 2025

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी। फोटो- ANI

अमेरिका ने आज से यानी कि 7 अगस्त से भारत से आने वाले सामानों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर दंडात्मक कार्रवाई की गई है।

बता दें कि अमेरिका पिछले कई महीनों से भारत पर रूस से व्यापार खत्म करने का दबाव बना रहा था, लेकिन मोदी सरकार ने ट्रंप की बातों को सिरे से खारिज कर दिया।

वहीं, अमेरिका द्वारा 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद भारत ने स्पष्ट रूप से यह कह दिया कि वह किसी दबाव में नहीं आएगा, उसकी विदेश नीति राष्ट्रीय हित के हिसाब से तय होती है। किसी भी वैश्विक ताकत की धमकी से भारत झुकने वाला नहीं है।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है, जब अमेरिका ने भारत पर प्रेशर बनाया है। इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं, जिसका भारत ने डटकर मुकाबला किया।

आज तक भारत अमेरिका के सामने कभी नहीं झुका है। यहां तक कि अमेरिका ने भारत पर प्रतिबंध भी लगाए, इसके बावजूद भारत ने अपने घुटने नहीं टेके।

अमेरिका ने गेहूं रोकने की दे डाली थी धमकी

बात 1965 की है। तब लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। उस वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी थी। उस दौरान, भारत गंभीर रूप से खाद्य संकट से जूझ रह था।

अमेरिका तब एक स्कीम के तहत भारत में गेहूं भेजता था, लेकिन अचानक वह भारत पर जंग खत्म करने के लिए दबाव बनाने लगा। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉनसन ने यह तक धमकी दे डाली कि अगर युद्ध नहीं रोका तो हम गेहूं देना बंद कर देंगे।

तब पीएम लाल बहादुर शास्त्री ने कहा कि आप गेहूं देना बंद कीजिये, हम अपने आत्मसम्मान से समझौता करने को तैयार नहीं हैं। इसी वक्त लाल बहादुर ने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया था। इसके साथ देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने का भी अनुरोध किया था।

1971 की लड़ाई में भी अमेरिका पाकिस्तान के साथ

1971 की लड़ाई में भी अमेरिका पूरी तरह से पाकिस्तान के सपोर्ट में खड़ा था। उस वक्त भी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और राष्ट्रपति सलाहकार हेनरी किसिंजर के साथ काफी विवाद हुआ था।

भारत-पाक युद्ध को रोकने के लिए अमेरिका ने हर तरह से कोशिश की। भारत पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने अपना नौसैनिक बेड़ा भी भेज दिया था।

फिर भी भारत नहीं झुका क्योंकि रूस तब भारत के साथ खड़ा था। इसी तरह, भारत ने पाकिस्तान पर बड़ी जीत दर्ज की और बांग्लादेश का निर्माण कराया।

1974 में भी अमेरिका ने दबाव बनाने की कोशिश की

1974 में भी भारत ने पहली बार पोखरण-1 परमाणु परिक्षण किया था। तब भी इसे रोकने के लिए अमेरिका ने लगातार दबाव बनाने की कोशिश की। तब, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंदिरा गांधी के लिए अपशब्द तक कहे थे।

उस वक्त अमेरिका ने परमाणु ईंधन, तकनीकी और आर्थिक सहायता पर प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि, तब भी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हार नहीं मानी। उन्होंने स्वदेशी तकनीकी विकास और नए पार्टनर्स के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखा।

1998 में भी पीछे नहीं हटा भारत

साल 1998 में भारत ने पोखरण-2 परमाणु परिक्षण किया, जो अमेरिका को रास नहीं आई। बौखलाकर अमेरिका ने भारत पर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा दिए।

इन प्रतिबंधों के तहत हथियारों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई। विश्व बैंक जैसे संस्थानों से मिलने वाली आर्थिक मदद भी मिलनी बंद हो गई।

इसके बावजूद, भारत पीछे नहीं हटा। तब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिका को जो करना है करे, हमारे देश के लिए परमाणु परिक्षण जरूरी है। क्योंकि पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देश परमाणु संपन्न हैं।

हालांकि, कुछ महीनों बाद अमेरिका को यह समझ आ गया कि भारत को दुनिया से अलग थलग करना सही नहीं है। साल 1999 तक ज्यादातर प्रतिबंध हटा दिए गए।

इसके बाद साल 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत दौरे पर आए, जिसके बाद से फिर अमेरिका से संबंध ठीक हो गए।