
अवध ओझा के राजनीति से सन्यास लेने पर भड़के AAP नेता।
Avadh Ojha: जाने-माने कोचिंग टीचर अवध ओझा एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने आम आदमी पार्टी और राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को महान नेता बताते हुए उन्होंने अपना फैसला सुनाया है। इसके बाद आम आदमी पार्टी के नेता सोमनाथ भारती ने अवध ओझा को खूब खरी-खोटी सुनाई है। AAP के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती ने अवध ओझा के राजनीति से सन्यास लेने पर कहा कि अवध ओझा को पहले ही सोचना चाहिए था। आम आदमी पार्टी ने उन्हें इस भरोसे पर टिकट दिया था कि चुनाव में चाहे जो हो, लेकिन ओझा पार्टी के साथ हमेशा बने रहेंगे।
सोमनाथ भारती ने अपने सोशल मीडिया ‘X’ अकाउंट पर अवध ओझा को टैग करते हुए लिखा “मैं व्यक्तिगत रूप से आपका सम्मान करता हूं, लेकिन राजनीति कोई अल्पकालिक परियोजना नहीं है और आपके जैसे परिपक्व और प्रतिष्ठित व्यक्ति को आम आदमी पार्टी के साथ राजनीति में कदम रखने से पहले विकल्पों पर विचार करना चाहिए था। शुरुआत से ही कड़ी मेहनत करने वाले कई लोगों को पटपड़गंज से टिकट दिया जा सकता था, लेकिन पार्टी ने आपको यह मौका इस विश्वास के साथ दिया कि आप चुनावी नतीजों की परवाह किए बिना हमारे साथ काम करेंगे।”
पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक सोमनाथ भारती ने आगे लिखा “AAP भारत का भविष्य है और हमें इसे सभी राज्यों में सफल बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए। कौन सी पार्टी आम लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य बुनियादी जरूरतों में सुधार की बात करती है, जो भारत की 90% से ज्यादा आबादी का हिस्सा हैं? कृपया भाजपा और कांग्रेस नेताओं के भाषण सुनें। कोई भी आम लोगों की बुनियादी चिंताओं की बात नहीं करता।”
हाल ही में एक मीडिया हाउस के साथ पॉडकास्ट के दौरान अवध ओझा ने अपने भविष्य को लेकर कुछ इशारे किए, जिससे यह साफ हो जाता है कि उनकी प्रायोरिटीज बदल गई हैं। ओझा ने बताया कि हाल ही में उनकी मुलाकात समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई। उनका कहना है कि उनकी यह मुलाकात राजनीति पर नहीं, बल्कि शिक्षा पर केन्द्रित रही। हालांकि इस मुलाकात में क्या बातें हुईं, इसपर उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं बताया, लेकिन इतना जरूर कहा कि उन्होंने अखिलेश यादव को एक पत्र दिया है। उसमें उन्होंने अपने लिए कहा है कि राजनीति में उनका उद्देश्य कोई भी पद पाना नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाना था।
पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान अवध ओझा ने बताया कि हाल ही में उनकी मुलाकात समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई थी। यह मुलाकात काफी लंबी चली और लगभग तीन घंटे तक दोनों एक साथ बैठे। ओझा के अनुसार, पूरी चर्चा सिर्फ शिक्षा व्यवस्था और उसके सुधार पर हुई। इस मुलाकात के बाद उन्होंने अखिलेश यादव को एक नोट भी लिखकर दिया। इस नोट में उन्होंने लिखा, "भैया न तो हमें एमपी बनना है, न विधायक बनना है और न ही मंत्री।” उनके अनुसार, यह नोट विजय चौहान ने अखिलेश यादव को पढ़कर सुनाया था।
मुलाकात के बारे में आगे बात करते हुए अवध ओझा ने बताया कि उन्होंने अखिलेश यादव के सामने खुलकर पूरी बात रखी। अवध ओझा के अनुसार, उनका मकसद राजनीति में कोई पद या पहचान पाना नहीं है। वह चाहते हैं कि सत्ता में कोई ऐसा आदमी हो, जो शिक्षा को प्राथमिकता दे और जरूरी बदलाव हो पाएं। बकौल अवध ओझा, बहुत समय बाद अखिलेश यादव के साथ शिक्षा, इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल जैसे विषयों पर उनकी खुलकर चर्चा हुई।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में अवध ओझा पटपड़गंज विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद धीरे-धीरे यह चर्चा शुरू हो गई थी कि वह अब राजनीति में सक्रिय नहीं रहेंगे। इसके बाद हाल ही में उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा की। मंगलवार को अवध ओझा ने अपने सोशल मीडिया 'X' अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करते हुए AAP कार्यकर्ताओं और पार्टी के शीर्ष नेताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने लिखा, "अरविंद जी ,मनीष जी, संजय जी और सभी AAP के पदाधिकारी, कार्यकर्ता, आप सभी का दिल बहुत बहुत धन्यवाद। जो प्रेम और सम्मान आपने दिया, उसका ऋणी रहूंगा। राजनीति से संन्यास मेरा व्यक्तिगत निर्णय है।" इस दौरान अवध ओझा ने अरविंद केजरीवाल को एक महान नेता बताया।
फेमस UPSC टीचर और मोटिवेशनल स्पीकर अवध ओझा की राजनीतिक यात्रा बहुत छोटी रही, जो हाल ही में खत्म हो गई। अवध ओझा ने दिसंबर 2024 में आम आदमी पार्टी की आधिकारिक सदस्यता ली। उस समय उन्होंने कहा था कि वह शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करना चाहते हैं और देश के एजुकेशन सिस्टम में बदलाव लाने का प्रयास करेंगे। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में पटपड़गंज विधानसभा से पहली बार पर्चा भरा। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। चुनाव में हार के बाद अब उन्होंने आम आदमी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और राजनीति से संन्यास लेने की भी घोषणा कर दी। इस्तीफा देने का कारण उन्होंने यह बताया कि वह राजनीति में रहकर खुलकर कुछ बोल नहीं पा रहे थे।
Updated on:
02 Dec 2025 09:55 pm
Published on:
02 Dec 2025 06:52 pm
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