
फर्जी रॉ अधिकारी सुनीत कुमार।
Fake RAW Officer: ग्रेटर नोएडा की प्रतिष्ठित पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्ट सोसाइटी में रहने वाला 37 साल का सुनीत कुमार पिछले कई महीनों से खुद को भारतीय गुप्तचर संगठन ‘रिसर्च एंड एनालिसिस विंग’ (RAW) का वरिष्ठ अधिकारी बताकर लोगों को प्रभावित कर रहा था। बीते मंगलवार को नोएडा एसटीएफ ने जब उसके फ्लैट पर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया तो पहले उसने एसटीएफ अधिकारियों को भी रौब में लेने की कोशिश की, लेकिन जब उसकी असलियत सामने आने लगी तो वह चुप हो गया। एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, सुनीत कुमार ने स्टाइल, व्यक्तित्व और प्रभावशाली बातचीत के दम पर न केवल आम लोगों को गुमराह किया, बल्कि एक महिला जज भी उसके बनावटी व्यक्तित्व के जाल में फंस गईं और उसकी वास्तविकता को पहचान नहीं सकी। अब शादी के बाद उसकी असलियत सामने आने के बाद महिला न्यायिक अधिकारी को भी गहरा सदमा लगा है।
एसटीएफ के अनुसार आरोपी सुनीत कुमार पुत्र ब्रज नंदन शाह बिहार के वैशाली जिले का निवासी है। दिलचस्प बात यह है कि वैशाली जिले के अजोई थानाक्षेत्र के भगवानपुर का रहने वाला सुनीत कुमार क्लीनिकल साइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन है। उसकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने उसे लोगों के व्यवहार को समझने और उन्हें प्रभावित करने की क्षमता दी, जिसका उसने गलत इस्तेमाल किया। फिलहाल एसटीएफ उससे पूछताछ में जुटी है। एसटीएफ अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर उसने ऐसा फर्जीवाड़ा क्यों किया, इसके पीछे का मकसद क्या था?
जांच में सामने आया कि सुनीत खुद को RAW का उच्चाधिकारी बताकर चलता था। महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल, विदेशी यात्राएं, स्टाइलिश जीवनशैली और प्रभावशाली बातचीत से वह लोगों पर अपना प्रभाव जमाता था। उसकी बातचीत का ही प्रभाव था कि लोग उसकी सच्चाई पर संदेह नहीं करते थे। यही वजह रही कि कई लोग उसकी बातों में आ गए। इसी दौरान उसकी नजदीकी एक महिला जज से भी बढ़ी, जिसे उसने अपने फर्जी पद और प्रभावशाली पहचान से प्रभावित किया और उससे शादी रचा ली। STF सूत्रों का कहना है कि सुनीत अपने झूठे पद का इस्तेमाल निजी रिश्तों और लाभ के लिए भी करता था।
एसटीएफ को जांच में यह भी पता चला कि सुनीत पिछले एक साल में दुबई, मलेशिया और श्रीलंका की यात्रा पर गया था। इन यात्राओं की वास्तविक मंशा क्या थी और वहां वह किन लोगों से मिला? इसकी जांच की जा रही है। उसके पासपोर्ट और इमीग्रेशन विवरण खंगाले जा रहे हैं। इसी के साथ अधिकारियों को उसके अलग-अलग नामों से खोले गए 10 बैंक खातों का पता चला है, जिनमें पिछले कुछ समय में करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ है। इनमें से दो खातों में जमा 81 लाख रुपये एसटीएफ ने फ्रीज करा दिए हैं। यह रकम कहां से आई और इसका उपयोग कहां होना था? इसे भी जांच में शामिल किया गया है।
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, सुनीत ने एक ऐसी फर्जी पहचान तैयार कर ली थी, जिसे सतही तौर पर पकड़ पाना मुश्किल था। उसके व्यवहार, आत्मविश्वास और दस्तावेजों की पेशकश के तरीके में इतनी सफाई थी कि प्रारंभिक स्तर पर संदेह करना कठिन हो जाता था। यही कारण है कि उसका झांसा केवल साधारण लोग ही नहीं, बल्कि एक महिला जज भी नहीं पकड़ पाई। अब एसटीएफ उसके नेटवर्क, वित्तीय स्रोतों और विदेश यात्राओं की गुत्थी सुलझाने में लगी है। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि उसकी फर्जी पहचान से और कौन-कौन प्रभावित हुआ तथा कहीं उसने इस छल का इस्तेमाल आर्थिक या कानूनी लाभ के लिए तो नहीं किया।
Published on:
20 Nov 2025 02:12 pm
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