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बड़ी संख्या में लोग सूची से बाहर रखे तो अदालत करेगी हस्तक्षेप

एसआइआर : 12-13 को सुनवाई का पहला चरण

नई दिल्ली. बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 12 और 13 अगस्त को सुनवाई करेगा। यह पहला चरण होगा। दूसरा चरण सितंबर में होगा, जब अंतिम सूची पर आपत्तियों का निपटारा हो जाएगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मंगलवार को आयोग को चेतावनी दी कि अगर प्रक्रिया में कोई भी अनियमितता या गड़बड़ी पाई गई और बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर रखा गया तो अदालत तुरंत हस्तक्षेप करेगी।पीठ ने याचिकाकर्ताओं को आठ अगस्त तक लिखित दलीलें दाखिल करने के निर्देश दिए। आयोग ने कोर्ट को बताया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित कर दिया गया है। इसकी प्रति सभी राजनीतिक दलों को मुहैया कर दी गई। मसौदा मतदाता सूची को वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने फिर आरोप लगाया कि आयोग द्वारा एक अगस्त को प्रकाशित की जाने वाली मसौदा सूची से कई लोगों को बाहर रखा जा रहा है। इससे वे मतदान का अधिकार खो देंगे। पीठ ने कहा कि आयोग संवैधानिक संस्था है। उसे कानून का पालन करना होगा। अगर कोई गड़बड़ी हो रही है तो याचिकाकर्ता इसे अदालत के संज्ञान में ला सकते हैं। प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग की प्रक्रिया में करीब 65 लाख लोग मतदाता सूची से बाहर किए जा रहे हैं। यह बड़ा आंकड़ा है और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि अभी यह संख्या अंतिम नहीं है। जब तक आपत्तियों का निपटारा नहीं होता, वास्तविक तस्वीर सामने नहीं आएगी। हमें उम्मीद है कि 15 सितंबर तक अंतिम सूची सामने आ जाएगी।

अपने-अपने तर्क

याचिकाकर्ताओं में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) शामिल है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि एसआइआर संविधान के अनुच्छेद 14, 19, 21, 325 और 326 का उल्लंघन करता है। यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 में तय प्रक्रिया से हटकर है। चुनाव आयोग का कहना है कि उसे संविधान के अनुच्छेद 324 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 21 (3) के तहत ऐसा करने का अधिकार है।