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फर्जी पहचान, खुद को मरा घोषित किया…दिल्ली से तेहरान तक फैला जाल, ISI एजेंट की पूरी कहानी

ISIS Spy Adil Hussaini: आदिल और अख्तर की कहानी की शुरुआत ईरान से होती है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, दोनों पहले तेहरान और इस्लामाबाद में कुछ समय रहे और वहां से लीबिया पहुंचे। यहीं से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय जाल बुनना शुरू किया।

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ISIS Spy Adil Hussaini: दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हाल ही में जिस आदिल हुसैनी को गिरफ्तार किया है, उसकी पूछताछ में ऐसे खुलासे हुए हैं जो किसी हॉलीवुड थ्रिलर की पटकथा से कम नहीं लगते। आदिल और उसका भाई अख्तर हुसैन वर्षों से कई देशों में फर्जी पहचान के सहारे रह रहे थे। दोनों ने न केवल खुद को मृत घोषित करवाया बल्कि नए नामों से पासपोर्ट बनवाकर विदेशी खुफिया एजेंसियों की नजर से बचने की कोशिश की। मगर किस्मत ने आखिरकार साथ छोड़ दिया और अब दोनों भाई पुलिस के शिकंजे में हैं।

ईरान से शुरू हुई साजिश

आदिल और अख्तर की कहानी की शुरुआत ईरान से होती है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दोनों पहले तेहरान और इस्लामाबाद में कुछ समय रहे और वहां से लीबिया पहुंचे। यहीं से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय जाल बुनना शुरू किया। दोनों ने ईरानी न्यूक्लियर एजेंट्स को रूस के एक वैज्ञानिक से हासिल किए गए कथित न्यूक्लियर डिजाइनों की फर्जी कॉपियां बेच डालीं। जांच में सामने आया है कि करीब 75% डिजाइन असली थे, जबकि बाकी में जानबूझकर तकनीकी खामियां डाली गई थीं।

ताकि असली रहस्य उनके पास ही सुरक्षित रहें। इस सौदे से उन्होंने लाखों डॉलर कमाए और पैसे मिलते ही तेहरान से दुबई भाग निकले। लेकिन जब ईरानी एजेंट्स को धोखाधड़ी का अहसास हुआ तो उन्होंने अनौपचारिक दबाव डालकर दोनों भाइयों को दुबई से डिपोर्ट करवा दिया। यहीं से उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की निगरानी शुरू हो गई।

पहचान बदलने का खेल

गिरफ्तारी के बाद आदिल हुसैनी ने पुलिस को बताया कि उसका भाई अख्तर फिजिक्स का दीवाना था और उसने विज्ञान के अपने ज्ञान का इस्तेमाल छलावे के लिए किया। अख्तर ने खुद को ‘अलेक्जेंडर पाल्मर’ के नाम से पेश किया, जो अमेरिका के प्रतिष्ठित थिंक टैंक Center for Strategic and International Studies (CSIS) में “Warfare, Irregular Threats & Terrorism” कार्यक्रम का फेलो बताया जाता था। यह पहचान इतनी बारीकी से तैयार की गई थी कि कई लोग उसे वास्तविक अमेरिकी विशेषज्ञ समझ बैठते थे। पिछले हफ्ते अख्तर को मुंबई में गिरफ्तार किया गया। उसके खिलाफ मेरठ के कंकरखेड़ा थाने में राजद्रोह और जासूसी से जुड़े कई गंभीर मामले दर्ज हैं।

जब आदिल बना ‘न्यूक्लियर ऑफिसर’

भाई की तरह आदिल ने भी अपने छलावे की दुनिया में नया किरदार गढ़ा। उसने कनाडा की ओंटारियो पावर जनरेशन प्लांट का “न्यूक्लियर ऑफिसर” बनकर कई सरकारी दस्तावेज तैयार करवाए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपर्क साधे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मुताबिक, विदेशी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने VPN के ज़रिए की गईं उसकी कुछ संदिग्ध चैट्स को ट्रैक किया, जिससे उसकी सच्चाई सामने आई। दोनों भाइयों ने विदेशी सौदों से कमाए गए पैसों को ऐशो-आराम में उड़ा दिया। जब धन की कमी हुई, तो उन्होंने गलत रास्ता अपनाते हुए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से संपर्क किया। बताया जा रहा है कि उन्होंने ISI एजेंट्स को न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और भारतीय सुरक्षा ढांचे से जुड़ी जानकारियां देने की पेशकश की थी।

जाल में फंसे दोनों भाई

पुलिस के मुताबिक, ISI से जुड़ने की यही भूल दोनों के लिए सबसे भारी साबित हुई। भारतीय एजेंसियों ने उनकी गतिविधियों पर नजर रखी और धीरे-धीरे दोनों को अपने जाल में फंसा लिया। आदिल को दिल्ली से और अख्तर को मुंबई से गिरफ्तार किया गया। फिलहाल दोनों से लगातार पूछताछ जारी है और पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि क्या इनके संपर्क भारत में किसी अन्य नेटवर्क से भी थे। इन दोनों भाइयों की कहानी साबित करती है कि जब लालच और महत्वाकांक्षा का मेल होता है तो इंसान अपने ही बनाए जाल में फंस जाता है और सच्चाई आखिरकार किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाती है।