वॉशिंगटन. अब एमआरआइ केवल मस्तिष्क स्वास्थ्य के बारे में ही नहीं बल्कि यह भी बता सकेगा कि आप कितने समय तक जीवित रह सकते हैं।ड्यूक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार मस्तिष्क की संरचना में होने वाले परिवर्तनों से यह पता लगाया जा सकता है कि आपका शरीर जैविक रूप से कितनी तेजी से बूढ़ा हो रहा है। शोधकर्ताओं ने बताया कि एमआरआइ के दौरान मस्तिष्क में होने वाले परिवर्तन साफ दिखाई देते हैं। इस दौरान डुनेडिनपेस (डीएनए मिथाइलेशन-आधारित बायोमार्कर) से मस्तिष्क के ऊतकों में होने वाले परिवर्तनों और उम्र बढऩे के पैटर्न का विश्लेषण किया जा सकता है। शोध के मुताबिक ऐसे व्यक्ति, जिनकी जैविक उम्र तेजी से बढ़ती है उनमें हृदय रोग, फेफड़ों की समस्या और कमजोरी जैसी दीर्घकालीन बीमारियों की आशंका अन्य लोगों की तुलना में 18 फीसदी अधिक और समय से पहले मृत्यु की आशंका 40 फीसदी अधिक होती है।
ये दिखते हैं लक्षण
1. मस्तिष्क का मोटा कॉर्टेक्स और बड़ा हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का स्मृति से जुड़ा भाग) वॉल्यूम बेहतर स्मृति और जैविक रूप से युवा होने को बताता है।
2. सिकुड़ता हिप्पोकैम्पस तेजी से आते बुढ़ापे और मनोभ्रंश के बढ़ते जोखिम का संकेत देता है।
3. मस्तिष्क निलय के आसपास के ऊतकों के क्षय बढ़ती उम्र का संकेत देते हैं।
यह हो सकता है लाभ
नए शोध से अल्जाइमर, स्ट्रोक और हृदय संबंधी जैसी दीर्घकालिक बीमारियों का समय से पहले पता लगाया जा सकता है। इससे जीवनशैली में बदलाव या अन्य उपचार माध्यमों से बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इसके साथ ही जैविक रूप में उम्र बढऩे की गति को भी कम किया जा सकता है।
Published on:
30 Jul 2025 01:02 am