Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हाईकोर्ट में बहस के दौरान वकील पर बरसे जज, AI के इस्तेमाल पर लगाई फटकार, मोबाइल जब्त

High Court: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जज के सवाल पर वकील ने मोबाइल में उत्तर खोजना शुरू कर दिया। यह देख जज हैरान रह गए। इसके बाद वकील को फटकार लगाते हुए मोबाइल जब्त कर लिया।

3 min read
Punjab and Haryana High Court judge lawyer Punishment for using AI during arguments

सुनवाई के दौरान मोबाइल के उपयोग को लेकर वकील पर भड़की पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट।

High Court: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने न्यायालय की गरिमा और पेशेवर आचरण को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए वकील को कड़ी फटकार लगाई। इसके साथ उसका मोबाइल भी कुछ समय के लिए जब्त कर लिया। मामले की सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि कुछ वकील अदालत में बहस के दौरान प्रश्नों के जवाब खोजने के लिए मोबाइल फोन पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) टूल या गूगल सर्च का सहारा ले रहे हैं। ऐसी प्रवृत्ति न केवल अनुचित है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को भी ठेस पहुंचाती है।

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का मामला

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में यह मामला उस समय सामने आया, जब एक वकील ने अदालत के प्रश्न का उत्तर देने के लिए बहस के दौरान अपना मोबाइल फोन इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इस पर जस्टिस संजय वशिष्ठ ने नाराज़गी जताई और वकील का मोबाइल कुछ समय के लिए ज़ब्त कर लिया। न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि अदालत में इस प्रकार का व्यवहार “गैर-पेशेवर” और “अशोभनीय” है, जिसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।

न्यायालय की कार्यवाही का उपयुक्त साधन नहीं है मोबाइल

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा “ऐसी प्रथा दो कारणों से पूरी तरह अस्वीकार्य है। पहला, अदालत में बहस के दौरान मोबाइल फ़ोन का इस्तेमाल अनुशासनहीनता और अशिष्टता का परिचायक है। दूसरा, मोबाइल फोन को न तो न्यायालयीन कार्यवाही के लिए उपयुक्त साधन माना जा सकता है और न ही यह उस स्तर का पेशेवर उपकरण है जैसा कि आईपैड या लैपटॉप होते हैं, जो कार्यालय व्यवस्था और केस फाइलों से जुड़े रहते हैं।”

सुनवाई के दौरान मोबाइल उपयोग फूटा गुस्सा

उन्होंने यह भी कहा कि अदालत यह देखकर चिंतित है कि सुनवाई के दौरान बार के कई सदस्य बार-बार अपने मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। कई बार कार्यवाही इसलिए रोकनी पड़ती है क्योंकि वकील उत्तर देने से पहले मोबाइल पर जानकारी खोजने लगते हैं। जस्टिस वशिष्ठ ने टिप्पणी करते हुए कहा “यह प्रवृत्ति अदालत की कार्यवाही को बाधित करती है और न्यायिक अनुशासन के विपरीत है।”

उदाहरण देकर समझाया मामला

अदालत ने यह भी उदाहरण दिया कि हाल ही में एक मामले में इसी तरह की स्थिति उत्पन्न हुई थी, जहां वकील द्वारा मोबाइल का अत्यधिक उपयोग किए जाने पर फ़ोन ज़ब्त कर लिया गया था। न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि अदालत में उपस्थित हर वकील को अपने मामले की पूरी तैयारी के साथ आना चाहिए, न कि सुनवाई के दौरान ऑनलाइन स्रोतों पर निर्भर रहना चाहिए।

वकील को केस स्टडी करने की सलाह

जस्टिस वशिष्ठ ने कहा “जब अदालत कोई प्रश्न पूछे, तो वकील को तत्काल उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए। यदि उसे जानकारी के लिए मोबाइल या इंटरनेट पर निर्भर होना पड़े, तो यह दर्शाता है कि उसने अपना मामला पर्याप्त रूप से तैयार नहीं किया।” इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने निर्देश दिया कि इस आदेश की प्रति संबंधित बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सचिव को उपलब्ध कराई जाए, ताकि वे अपने सदस्यों को इस बारे में सूचित कर सकें।

भविष्य के लिए भी जारी की चेतावनी

अदालत ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में किसी वकील द्वारा सुनवाई के दौरान मोबाइल फोन, AI टूल या ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म का दुरुपयोग किया गया तो कोर्ट को “कठोर कदम” उठाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। हाईकोर्ट का यह निर्णय न्यायालयों में डिजिटल साधनों के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देता है। न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी सहायता का उपयोग तब तक स्वागतयोग्य है, जब तक वह पेशेवर मर्यादा और अनुशासन के दायरे में रहे। अदालत ने साफ कहा कि कोर्ट रूम में बहस “तैयारी, तर्क और अध्ययन” का परिणाम होनी चाहिए, न कि “गूगल सर्च या AI से तत्काल प्राप्त उत्तरों” का।