Yamuna River Pollution: दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में लौटी भाजपा सरकार ने पूरे जोर-शोर के साथ यमुना की सफाई का काम शुरू किया था। इसके बावजूद 17 जुलाई को सामने आई दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की रिपोर्ट में प्रदूषण के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना नदी में बैक्टीरिया लेवल 4000 गुना ज्यादा हो गया है। इस बीच पिछले एक महीने में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार जरूर हुआ, लेकिन प्रदूषण अभी खत्म नहीं हुआ है।
दरअसल, दिल्ली में मानसून की बौछारों ने जहां हवा की गुणवत्ता को थोड़ा बेहतर बनाया है। वहीं यमुना नदी की स्थिति लगातार बदतर होती जा रही है। अगर आपने हाल ही में यमुना को देखा हो तो उसका बदला हुआ चेहरा आपको चौंका सकता है। यमुना नदी में सफेद झाग से ढकी सतह का दृश्य प्रदूषण की गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है। हालांकि फरवरी 2025 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में यमुना नदी की सफाई बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था।
इस दौरान भाजपा नेताओं ने AAP पर आरोप लगाते हुए कहा था कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार दिल्ली में 10 साल रही, लेकिन यमुना की सफाई के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई गई। अब भाजपा यमुना को साफ करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाएगी। हालांकि भाजपा ने सरकार बनने के बाद यमुना की सफाई बड़े जोर-शोर से शुरू भी कराई। मीडिया में इसकी खबरें और वीडियो सामने आते रहे। इसके बावजूद यमुना में बढ़ा प्रदूषण लेवल चिंता उत्पन्न करता है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की ताजा रिपोर्ट के हवाले से यमुना में प्रदूषण लेवल बढ़ने की खबर प्रकाशित की है। इसमें यमुना के प्रदूषण लेवल पर चिंता जताई गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, जून की अपनेक्षा जुलाई महीने में यमुना नदी की गुणवत्ता में भारी गिरावट दर्ज की गई है। नदी में बैक्टीरिया की मात्रा 4000 गुना खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। जो सीधे तौर पर सीवेज के पानी की अधिकता को दर्शाती है।
नदी में सबसे चिंताजनक पैरामीटर फीकल कोलीफॉर्म है। जो मल-जनित बैक्टीरिया की उपस्थिति बताता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार इसकी सुरक्षित सीमा 2,500 MPN/100ml है। जबकि ITO ब्रिज पर यह 92 लाख MPN/100ml पाया गया। जो कि सीमा से करीब 4,000 गुना ज्यादा है। इसके अलावा यमुना के पानी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) भी तेजी से बढ़ा है।
जुलाई में पल्ला में यह 8 mg/l पाया गया। जो CPCB की तय सीमा (3 mg/l या उससे कम) से काफी अधिक है। आईटीओ से असगरपुर के बीच के हिस्से में BOD का स्तर 70 mg/l तक पहुंच गया, जो गंदे नालों के सीधे बहाव का संकेत देता है। जून में पल्ला में BOD 5 mg/l था, जो जुलाई में बढ़कर 8 हो गया। वजीराबाद (8 से 12), ISBT (31 से 40), ITO (46 से 70), निजामुद्दीन (40 से 50), ओखला बैराज (30 से 46), आगरा नहर (38 से 50), और असगरपुर (44 से 55) में भी इसी तरह वृद्धि देखी गई।
मछलियों के जीवन के लिए जरूरी डिजोल्व्ड ऑक्सीजन (DO) का स्तर भी गिरता जा रहा है। जुलाई में इसकी मात्रा कई स्थानों पर न्यूनतम स्तर से नीचे रही, जिससे नदी का जैविक जीवन संकट में है। DPCC नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के तहत यमुना के आठ स्थानों से पानी के सैंपल लेकर हर महीने रिपोर्ट जारी करता है। इस बार की रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि नदी की हालत साल दर साल गंभीर होती जा रही है। असगरपुर और ITO क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित पाए गए हैं।
संबंधित विषय:
Published on:
19 Jul 2025 01:37 pm