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नरसिंहपुर जिले की सडक़ों पर दौड़ रहीं 15 साल पुरानी डेढ़ दर्जन यात्री बसें

Transport Departmentनरसिंहपुर. जिले में गड्ढेदार सडक़ों पर अपने मुनाफे के लिए तेज गति से दौडऩे वाली यात्री बसों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। जिले की विभिन्न सडक़ों पर 15 साल पुरानी करीब 18 यात्री बसें अभी भी यात्रियों का परिवहन करने दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग ने प्रदेश भर की 15 साल पुरानी […]

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जिला मुख्यालय का बस स्टैंड जहां से बसों का संचालन होता है।

Transport Departmentनरसिंहपुर. जिले में गड्ढेदार सडक़ों पर अपने मुनाफे के लिए तेज गति से दौडऩे वाली यात्री बसों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। जिले की विभिन्न सडक़ों पर 15 साल पुरानी करीब 18 यात्री बसें अभी भी यात्रियों का परिवहन करने दौड़ रही हैं। परिवहन विभाग ने प्रदेश भर की 15 साल पुरानी यात्री बसों की जो सूची तैयार की थी उसमें जिले से 24 बसें चिन्हित की गईं थीं। जिनमें 8 बसों के पहले ही पंजीयन निरस्त होने से संचालित 18 बसों को परिवहन सेवा से हटाने विभाग कवायद में जुट गया है।
जिले में दो हाइवे, स्टेट हाइवे समेत ग्रामीण रूटों के जरिए 250 से ज्यादा यात्री बसों का संचालन होता है। लेकिन कई बस ऑपरेटर बसों के जरिए हर दिन होने वाले मुनाफा के लालच में बसों की समय पर फिटनेस, जांच, सुधार आदि कार्य कराने में फिसड्डी साबित होते हैं। जिससे खस्ताहाल बसों से आवागमन के दौरान यात्रियों को हर समय जोखिम उठाना पड़ता है।
बस ऑपरेटरों ने मांगी विभाग से मोहलत परिवहन विभाग ने जबसे 15 साल पुरानी बसों का संचालन बंद कराने निर्णय लिया है तभी से बस ऑपरेटरों में हडक़ंप की स्थिति बनी है। बताया जाता है कि परिवहन विभाग ने संबंधित ऑपरेटरों से दो टूक कह दिया है कि वह जल्दी से जल्दी अपनी पुरानी बसों का संचालन बंद करते हुए परमिट-पंजीयन निरस्त करा लें नहीं तो विभाग कार्रवाई करेगा। इस हिदायत के बाद कई बस ऑपरेटरों ने विभाग से एक-दो माह तक का समय मांगा है। जिससे वह नई बसों की व्यवस्था कर उनके नाम से परमिट-पंजीयन करा सकें। हालांकि इस दौरान बसों के संचालन में यदि कहीं कोई घटना-दुर्घटना होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा यह न तो विभाग स्पष्ट कर रहा है और न ही ऑपरेटरों की ओर से कोई जिम्मेदारी स्पष्ट की जा रही है। परिवहन विभाग से मिले नोटिस के बाद संचालकों में बेचैनी है, क्योंकि नई बसें लाने अधिक खर्च आएगा। जबकि वह वर्षों पुरानी बसों से ही मुनाफा कमा रहे हैं।
पुरानी बसें इसलिए बढ़ा रहीं यात्रियों का जोखिम
अधिकांश पुरानी बसें तकनीकी और संरचनात्मक मानकों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं। सीटें फटी हुई, लोहे के ढांचे बाहर निकले हैँ, चोट की आशंका रहती है। खिड़कियों के सरकने वाले हिस्से जाम रहते हैं, दरवाजे टूटी हालत में, ठीक से बंद न होने से फिसलने-गिरने का खतरा रहता है। थोड़ी खराब सडक़ पर भी अत्यधिक कंपन रहता है। कई बार बसें रास्ते में ही खराब हो जाती हैं। बसों में आपातकालीन निकास व्यवस्था निष्क्रिय है, कई बसों में हैंडल भी गायब हैं। रात में सामने की हेडलाइट व दिशा संकेतक मंद हैं, दुर्घटना की संभावना कई गुना बढ़ती है। यात्रियों ने बताया कि कई बसें चलने के दौरान इतनी अधिक कांपती हैं कि लगता है जैसे किसी भी मोड़ पर नियंत्रण बिगड़ सकता है।
वर्जन
जिले में संबंधित बस ऑपरेटरों को हिदायत दी है कि वह 15 साल पुरानी बसें हटा लें नहीं तो कार्रवाई होगी। ऑपरेटरों ने एक से दो माह का समय मांग रहे हैं। जल्दी से जल्दी चिन्हित सभी बसों के पंजीयन निरस्त करने कार्रवाई होगी।

रवि बरेलिया, जिला परिवहन अधिकारी नरसिंहपुर