डांगरी गांव के किसान खेतसिंह की हत्या के बाद दो दिन तक उबाल झेल चुके इलाके में शुक्रवार सुबह हालात काबू में आए। प्रशासन और ग्रामीणों के बीच सहमति बनने के बाद खेतसिंह का शव गांव लाया गया। भारी पुलिस सुरक्षा के बीच परिजनों और ग्रामीणों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। गांव में तनाव की जगह अब सन्नाटा और पुलिस की सख्त निगरानी ने ले ली। इससे पूर्व गुरुवार रात हुई वार्ता में ग्रामीणों और प्रशासन के बीच सहमति बनी। परिवार को आर्थिक सहायता और एक सदस्य को संविदा नौकरी देने पर सहमति हुई। गिरफ्तार किए गए निर्दोष प्रदर्शनकारियों को छोडऩे और आरोपियों के अवैध अतिक्रमण हटाने पर भी निर्णय हुआ। समझौते के बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त कर शव उठाने पर सहमति दी।
रात को ही प्रशासन ने आरोपियों लाडू खान, जमाल खान और खेते खान की पांच अवैध दुकानों पर जेसीबी चलाकर उन्हें ध्वस्त कर दिया। करीब 150 बीघा सरकारी जमीन पर की गई तारबंदी को भी हटाया गया। ग्रामीणों ने गांव में अन्य अवैध अतिक्रमण हटाने की मांग भी रखी। समझौते के दौरान वार्ता में जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी, पोकरण विधायक महंत प्रतापपुरी, आइजी राजेश मीना, कलेक्टर प्रतापसिंह और एसपी अभिषेक शिवहरे, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, स्वरूपसिंह खारा, पूर्व विधायक सांगसिंह भाटी, भाजपा नेत्री सुनीता भाटी मौजूद रहे। शुक्रवार सुबह निर्दलीय विधायक रविंद्रसिंह भाटी डांगरी पहुंचे और कहा कि संवेदनाओं पर राजनीति करने वाले अपणायत का चोला पहनकर आते हैं। जनता को ऐसे लोगों से सावधान रहना चाहिए।
गत 2 सितंबर की रात खेत में सो रहे किसान खेतसिंह पर धारदार हथियार से हमला हुआ। आरोप है कि उसने हिरण का शिकार कर रहे लोगों को रोका था, जिससे रंजिश पनपी। घायल किसान ने अगले दिन इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। हत्या से गुस्साए लोगों ने दुकानों और डंपर में आग लगा दी। गुरुवार को धरना-प्रदर्शन के दौरान भीड़ बेकाबू हुई, पथराव और आगजनी की। पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लेकर हालात काबू किए। दो पुलिसकर्मी घायल हुए और 26 उपद्रवियों को पकड़ा गया। गौरतलब है कि खेतसिंह अपने पीछे पत्नी, एक बेटी और तीन बेटे छोड़ गए। समझौते और अंतिम संस्कार के बाद गांव में हालात शांत तो हुए हैं, लेकिन घटना ने पूरे सरहदी इलाके को हिला कर रख दिया है।
Published on:
05 Sept 2025 11:56 pm
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