Andhra Pradesh तिरुपति . आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू का पैतृक गांव नरवरिपल्ले बंदरों के भयंकर आतंक से जूझ रहा है, जिससे कृषि प्रभावित हो रही है। स्वर्ण नरवरिपल्ले पहल के तहत जीरो बजट प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) जैसी प्रमुख परियोजनाओं में देरी हो रही है।
चंद्रगिरी मंडल में 500 से अधिक बंदरों ने गांव और आसपास की पंचायतों पर हमला कर दिया है, फसलों को नुकसान पहुंचाया है और खेती के प्रयासों को बाधित किया है।
इसके जवाब में, आंध्र प्रदेश वन विभाग ने एक अभियान शुरू किया है, जिसमें विशेष टीमों को तैनात किया गया है और जंगली बंदरों से निपटने में अपनी विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध नक्कालोलु आदिवासी समुदाय को शामिल किया गया है।
हालांकि, बंदर जाल से बच रहे हैं, जिससे पकडऩे वालों को प्रत्येक गांव में दो से तीन दिन तक रहना पड़ रहा है। नरवरिपल्ले (कंदुलावरिपल्ली) और पड़ोसी शेषपुरम और रंगमपेटा पंचायतों में जाल लगाए गए हैं।
अधिकारियों का अनुमान है कि तीन पंचायतों में लगभग 500 बंदर हैं। कंदुलावरिपल्ली के किसान गुरवा रेड्डी के अनुसार, यह समस्या एक दशक पहले तब शुरू हुई जब बंदरों के दो झुंड इस क्षेत्र में आए। समय के साथ ग्रामीणों ने उन्हें खाना खिलाना शुरू कर दिया, जिससे उनकी जनसंख्या में विस्फोट हो गया।
बंदर सबसे ज़्यादा सुबह 5 से 9 बजे तक और दोपहर 3 से शाम 6 बजे तक सक्रिय रहते हैं, फसलों पर हमला करते हैं और पैदावार कम करते हैं। अब तक 250 बंदरों को पकड़ा जा चुका है। बाकी बचे झुंड आम, अमरूद और केले जैसे फलदार पेड़ों के साथ-साथ बैंगन, भिंडी और पत्तेदार साग जैसी सब्जियों की फसलों को नष्ट कर रहे हैं। शेषपुरम के किसान जया रामी रेड्डी ने कहा कि कृषि में नुकसान अभी भी बहुत ज़्यादा है।
अधिकारियों ने शुरुआत में प्राकृतिक फलों को चारा के रूप में इस्तेमाल किया, लेकिन बंदरों ने उन्हें अनदेखा कर दिया। फिर पकडऩे वालों ने चाय की बन्स और बिस्कुट का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जो ज़्यादा कारगर साबित हुआ।
प्रत्येक लक्षित क्षेत्र में कम से कम तीन दिनों तक काम करने वाले चार से पांच पकडऩे वालों की टीम की आवश्यकता होती है।
अनियंत्रित बंदरों की आबादी कृषि परियोजनाओं, विशेष रूप से जेडबीएनएफ में भी बाधा डाल रही है, जो विविध फसलों को बढ़ावा देती है। किसानों ने आम, केले, पपीते, धान और अन्य फ़सलों में नुकसान की सूचना दी है।
पनपाकम वन रेंज अधिकारी पी माधवी ने बताया कि 250 बंदरों को 80 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने कहा कि तिरुपति जिला कलेक्टर डॉ. एस वेंकटेश्वर के निर्देशानुसार, हम नरवरिपल्ले, कंदुलावरिपल्ली, शेषपुरम और रंगमपेटा सहित प्रभावित गांवों को खाली करने का काम कर रहे हैं।
Updated on:
24 Mar 2025 06:07 pm
Published on:
24 Mar 2025 06:06 pm