बाड़मेर. अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा जिला बाड़मेर रेल सेवा की दृष्टि से पहले से ही पिछड़ा है। लंबी दूरी के लिए मुश्किल से दो-तीन एक्सप्रेस रेलगाड़ियां संचालित होती हैं। इनमें से एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी में साधारण कोच नहीं लगने और आरक्षित टिकट नहीं मिलने पर लोग चाहकर भी यात्रा नहीं कर पाते। इस कारण बाड़मेर और बालोतरा के लोग बड़ी परेशानी उठाते हैं। लंबे समय से रेल में साधारण कोच लगाने की सत जरूरत महसूस की जा रही है, लेकिन रेलवे अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इस अनदेखी से क्षेत्र के लोगों में नाराजगी है।
जिला बाड़मेर व बालोतरा रेल सेवा की दृष्टि से आज भी बहुत पिछड़ा हुआ है। यहां के लिए प्रतिदिन मुश्किल से एक दर्जन से कम साधारण व एक्सप्रेस रेलगाड़ियां संचालित होती हैं। कई-कई घंटे के अंतराल में रेलगाड़ियां न चलने पर लोगों को मजबूरी में बसों में सफर करना पड़ता है। महंगे टिकट और अन्य परेशानियों से यात्री दोहरी मार झेलते हैं।
बाड़मेर से सप्ताह में गुरुवार और शनिवार को रात 9:30 बजे हमसफर एक्सप्रेस बांद्रा टर्मिनस के लिए संचालित होती है। वापसी में बुधवार और शुक्रवार को यह गाड़ी बांद्रा टर्मिनस से शाम 7:30 बजे बाड़मेर आती है। इस रेलगाड़ी में आठ स्लीपर और 12 थर्ड एसी कोच लगते हैं, लेकिन एक भी साधारण कोच नहीं होता। इस कारण आरक्षित टिकट नहीं मिलने पर यात्री चाहकर भी यात्रा नहीं कर पाते।
बाड़मेर, बायतु, बालोतरा, समदड़ी, मोकलसर, जालोर, मोदरा, रानीवाड़ा, धानेरा, पाटन, मेहसाणा, अहमदाबाद, सूरत, बड़ौदा और मुंबई सहित कई स्टेशनों पर यह रेलगाड़ी रुकती है। बाड़मेर व बालोतरा क्षेत्र के हजारों लोग गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों में कामकाज करते हैं। पूरे वर्ष गांव-घर आना-जाना लगा रहता है। ऐसे में आरक्षित टिकट नहीं मिलने से यात्री हमसफर एक्सप्रेस से सफर नहीं कर पाते। गिनी-चुनी रेलगाड़ियां होने से वे हमेशा खचाखच भरी रहती हैं। मजबूरीवश लोगों को बसों में यात्रा करनी पड़ती है, जिससे बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है।
Published on:
07 Sept 2025 07:56 pm