Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

1517 किलोमीटर सीवर लाइन की सफाई 15 साल पुरानी मशीनों के भरोसे सीवर की सफाई, न प्रेशर, न मशीन में ताकत

Information about sewer cleaning resources was presented in the development review meeting. Machines were purchased between 2010 and 2012, but resources were not increased.

2 min read
Information about sewer cleaning resources was presented in the development review meeting. Machines were purchased between 2010 and 2012, but resources were not increased.

Information about sewer cleaning resources was presented in the development review meeting. Machines were purchased between 2010 and 2012, but resources were not increased.

शहर में सीवर का नेटवर्क 1 हजार 517 किलोमीटर तक फैला हुआ है। इस नेटवर्क की सफाई के लिए नगर निगम के पास न मशीनें हैं और न कर्मचारी। जो मशीनें मौजूद हैं, उनकी उम्र 12 से 15 साल हो चुकी है। इन मशीनों में सीवर को साफ करने की ताकत बची है और न प्रेशर। इसके अलावा 40 से 50 साल पुराना नेटवर्क भी मौजूद है, जिसमें पानी की मात्रा बढ़ी है। इससे सीवर ओवर फ्लो जाता है। संसाधनों के अभाव में सफार्ई नहीं हो पा रही है। इसके चलते शहर में सीवर लाइनें जाम हो रही है और सडक़ों पर पानी फैल रहा है। औसतन एक व्यक्ति सीवर में 120 से 130 लीटर पानी बहाता है।

दरअसल केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की समीक्षा बैठक के दौरान नगर निगम ने सीवर, सडक़ व जलापूर्ति को लेकर अपना प्रजेंटेशन दिया। इस प्रजेंटेशन में नए सीवर नेटवर्क सहित संसाधनों की जरूरत बताई। शहर में जो सीवर नेटवर्क मौजूद है, उसकी सफार्ई के लिए 342 कर्मचारियों की जरूरत है। 30 नई मशीनें चाहिए। पुरानी मशीनों का भी ब्यौरा पेश किया। इन मशीनों को पुराना बताते हुए कम प्रेशर वाली बताई। शहर की आबादी व क्षेत्रफल जिस तरह से बढ़ा है, उस हिसाब से संसाधन नहीं बढाए। इसके चलते सीवर की समस्या बनी हुई है।

वर्षा का पानी निकालने की व्यवस्था नहीं, इस कारण कचरा जा रहा अंदर

शहर की गली, मोहल्ले, कॉलोनी में बारिश का पानी निकालने की अलग से व्यवस्था नहीं है। बारिश का पानी सीवर लाइन के माध्यम से बाहर जाता है। इस कारण पॉलीथिन, मिट्टी, रेत, ईंट, पत्थर, प्लास्टिक, कपड़े आदि सीवर लाइन में चले जाते हैं। इससे लाइन जाम होती है। लाइन जाम होने के बाद इसे पूरी तरह से सफाई करने की व्यवस्था नहीं है।

- सीवर लाइन में ये जमा हो जाते है। जिससे सीवर नेटवर्क कभी जाम हो जाता है और पूरा साल लोग परेशानी भुगतते हैं। शहर बारिश के समय पर सीवर जाम की समस्या से ज्यादा जूझता है।

-शहर में 511 किलोमीटर लाइन अंडर साइज हैं। पानी के बहाव के हिसाब से छोटी पडऩे लगी है।

हाईकोर्ट ने सीवर लेकर कहा था कि पेट में कब्ज है, उसका मैकअप कर रहे हैं

- हाईकोर्ट में स्वर्ण रेखा नदी में बह रहे सीवर के पानी को लेकर जनहित याचिका लंबित है। कोर्ट ने स्वर्ण रेखा नदी के दोनों किनारों पर नई ट्रंक लाइन डालने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान फैलते सीवर पर कहा था कि जिसके पेट में कब्ज है, उसका चाहे जितना मैकअप कर लें, वह सुंदर नहीं दिख सकेगा। सीवर व सडक़ सुधार को प्राथमिकता में लेने के लिए कहा था।

सीवर सफाई के लिए मौजूद मशीनें

मशीन का प्रकार निगम के पास ठेकेदार के पास

सुपर सकर मशीन 1 0

जेटिंग कम सक्शन मशीन 5 7

जेटिंग केवल 1 3

डि सिल्ट 3 9

योग 10 19

(मशीनों की उम्र 12 से 15 साल हो चुकी है।)

आबादी- 15 लाख

कुल सीवेज नेटवर्क- 1517 किलोमीटर

अंडर साइज नेटवर्क- 511 किलोमीटर

क्षतिग्रस्त-320 किलोमीटर

मेनहोल- 75000

60 से 66 वार्ड में सीवर नेटवर्क नहीं