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चौराहों पर अतिक्रमण की भरमार-डेढ़ दशक से नहीं मिला समाधान,

Encroachment is rampant on the crossings

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नरसिंहपुर- शहर के मुख्य मार्ग और चौराहों पर फ ल.सब्ज़ी के ठेले, अवैध दुकानें और सडक़ किनारे लगने वाले स्टॉल अब यातायात व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। हालत यह है कि शहर के दो दर्जन से अधिक चौराहे ठेलों और अस्थायी दुकानों से घिरे हुए हैं, जिससे पैदल चलना तो दूर, वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो गया है। नगरपालिका और प्रशासन द्वारा समय.समय पर कार्रवाई के दावे किए जाते हैं, लेकिन डेढ़ दशक से ठोस समाधान नहीं निकल सका। फ ल और सब्ज़ी विक्रेताओं के ठेले सडक़ पर आधी जगह घेर लेते हैं, जिससे दोनों ओर से आने.जाने वाले वाहनों के बीच टकराव की स्थिति बनती है। सिंहपुर चौराहे पर तो पैदल यात्रियों को सडक़ पार करने में दिक्कत होती है, वहीं बाइक और कार चालकों को अक्सर जाम का सामना करना पड़ता है।
व्यापारी और ठेले वालों के अपने अपने तर्क
ठेले वाले कहते हैं कि उन्हें अपनी रोज़ी.रोटी के लिए जगह चाहिए और जब तक प्रशासन वैकल्पिक स्थान उपलब्ध नहीं कराता, वे यहीं बैठेंगे। शहर के कुछ व्यापारी संगठन भी इनके पक्ष में हैं, लेकिन आम नागरिकों का कहना है कि बाजार के लिए तय स्थानों पर ही ठेले लगने चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अतिक्रमण हटाने के साथ ठेले वालों के लिए स्थायी मार्केट स्थल बनाया जाए तो यातायात व्यवस्था सुधरेगी और लोगों को राहत मिलेगी। फि लहाल शहरवासी उम्मीद लगाए हैं कि नगर प्रशासन जल्द कोई स्थायी समाधान निकाले ताकि नरसिंहपुर की सडक़ों से अतिक्रमण का बोझ कम हो सके।

नरसिंहपुर- शहर के मुख्य मार्ग और चौराहों पर फ ल.सब्ज़ी के ठेले, अवैध दुकानें और सडक़ किनारे लगने वाले स्टॉल अब यातायात व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। हालत यह है कि शहर के दो दर्जन से अधिक चौराहे ठेलों और अस्थायी दुकानों से घिरे हुए हैं, जिससे पैदल चलना तो दूर, वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो गया है। नगरपालिका और प्रशासन द्वारा समय.समय पर कार्रवाई के दावे किए जाते हैं, लेकिन डेढ़ दशक से ठोस समाधान नहीं निकल सका। फ ल और सब्ज़ी विक्रेताओं के ठेले सडक़ पर आधी जगह घेर लेते हैं, जिससे दोनों ओर से आने.जाने वाले वाहनों के बीच टकराव की स्थिति बनती है। सिंहपुर चौराहे पर तो पैदल यात्रियों को सडक़ पार करने में दिक्कत होती है, वहीं बाइक और कार चालकों को अक्सर जाम का सामना करना पड़ता है।
व्यापारी और ठेले वालों के अपने अपने तर्क
ठेले वाले कहते हैं कि उन्हें अपनी रोज़ी.रोटी के लिए जगह चाहिए और जब तक प्रशासन वैकल्पिक स्थान उपलब्ध नहीं कराता, वे यहीं बैठेंगे। शहर के कुछ व्यापारी संगठन भी इनके पक्ष में हैं, लेकिन आम नागरिकों का कहना है कि बाजार के लिए तय स्थानों पर ही ठेले लगने चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अतिक्रमण हटाने के साथ ठेले वालों के लिए स्थायी मार्केट स्थल बनाया जाए तो यातायात व्यवस्था सुधरेगी और लोगों को राहत मिलेगी। फि लहाल शहरवासी उम्मीद लगाए हैं कि नगर प्रशासन जल्द कोई स्थायी समाधान निकाले ताकि नरसिंहपुर की सडक़ों से अतिक्रमण का बोझ कम हो सके।

नरसिंहपुर- शहर के मुख्य मार्ग और चौराहों पर फ ल.सब्ज़ी के ठेले, अवैध दुकानें और सडक़ किनारे लगने वाले स्टॉल अब यातायात व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। हालत यह है कि शहर के दो दर्जन से अधिक चौराहे ठेलों और अस्थायी दुकानों से घिरे हुए हैं, जिससे पैदल चलना तो दूर, वाहनों का निकलना भी मुश्किल हो गया है। नगरपालिका और प्रशासन द्वारा समय.समय पर कार्रवाई के दावे किए जाते हैं, लेकिन डेढ़ दशक से ठोस समाधान नहीं निकल सका। फ ल और सब्ज़ी विक्रेताओं के ठेले सडक़ पर आधी जगह घेर लेते हैं, जिससे दोनों ओर से आने.जाने वाले वाहनों के बीच टकराव की स्थिति बनती है। सिंहपुर चौराहे पर तो पैदल यात्रियों को सडक़ पार करने में दिक्कत होती है, वहीं बाइक और कार चालकों को अक्सर जाम का सामना करना पड़ता है।
व्यापारी और ठेले वालों के अपने अपने तर्क
ठेले वाले कहते हैं कि उन्हें अपनी रोज़ी.रोटी के लिए जगह चाहिए और जब तक प्रशासन वैकल्पिक स्थान उपलब्ध नहीं कराता, वे यहीं बैठेंगे। शहर के कुछ व्यापारी संगठन भी इनके पक्ष में हैं, लेकिन आम नागरिकों का कहना है कि बाजार के लिए तय स्थानों पर ही ठेले लगने चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अतिक्रमण हटाने के साथ ठेले वालों के लिए स्थायी मार्केट स्थल बनाया जाए तो यातायात व्यवस्था सुधरेगी और लोगों को राहत मिलेगी। फि लहाल शहरवासी उम्मीद लगाए हैं कि नगर प्रशासन जल्द कोई स्थायी समाधान निकाले ताकि नरसिंहपुर की सडक़ों से अतिक्रमण का बोझ कम हो सके।