
High Court strict on protection of government land, asks state for a roadmap to create a concrete mechanism
हाईकोर्ट की युगल पीठ ने शहर में सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर गंभीर जिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि यदि प्रशासन ने अब भी ठोस व्यवस्था नहीं बनाई तो बहुमूल्य सरकारी भूमि भूमाफियाओं की हवस की भेंट चढ़ जाएगी। न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की पीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से कहा कि वह सरकारी भूमि की सुरक्षा और संरक्षण के लिए विस्तृत तंत्र (रोडमैप) तैयार करे और अदालत में पेश करें।
याचिकाकर्ता दीपक कुमार और अन्य की ओर से अधिवक्ता विजय सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में सरकारी जमीनें भू-माफियाओं द्वारा कब्जाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि जब सरकार की ओर से मुकदमे दायर होते हैं या भूमाफिया खुद राहत के लिए कोर्ट पहुंचते हैं, तब सरकारी वकील (जीपी/एजीपी) अक्सर उपस्थित नहीं होते, जिससे उन लोगों को अदालत में राहत मिल जाती है और सरकारी जमीन उनके कब्जे में चली जाती है।
राज्य सरकार से मांगी जवाबदेही, वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति जरूरी
कोर्ट ने इस पर सख्ती दिखाते हुए पहले भी प्रमुख सचिव (कानून) और प्रमुख सचिव (राजस्व) को अदालत में तलब किया था ताकि इस गंभीर विषय पर प्रभावी व्यवस्था बनाई जा सके। दोनों अधिकारियों ने अदालत को बताया कि कुछ कदम उठाए गए हैं, लेकिन अदालत ने कहा कि यह "आंशिकप्रयास" पर्याप्त नहीं हैं।
-अदालत ने बेहतर कानूनी सहायता और निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश दीक्षित को अमिकस क्यूरी (न्यायिक सहयोगी) नियुक्त किया है। उन्हें अधिवक्ता अक्षत जैन सहायता करेंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि याचिका और उससे जुड़े दस्तावेजों की प्रति सात दिनों के भीतर अमिकस को उपलब्ध कराई जाए।
- मामले की सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। अदालत ने राज्य शासन के अधिवक्ताओं को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई पर प्रमुख सचिव (कानून) और प्रमुख सचिव (राजस्व) की ऑनलाइन उपस्थिति सुनिश्चित की जाए।
क्या है मामला
दरअसल दीपक कुमार हाईकोर्ट में सरकारी जमीन को खुर्दबुर्द किए जाने को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि ग्राम मुरार के सर्वे क्रमांक 703, 705, 706, 707, 708 कुल 4 बीघा 1 विस्वा जमीन सरकारी है। रामचरण, गीता, पूरन आदि ने रिकॉर्ड में हेराफेरी कर अपने हित में नामांतरण करा लिया है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा था कि सरकारी जमीनों को बचाने के हित में कार्य नहीं किया जा रहा है।
Published on:
12 Nov 2025 11:17 am
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