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वारंट लौटाने पर हाईकोर्ट सख्त, 15 मिनट में आरोपी घर से गिरफ्तार, एएसआई निलंबित अवमानना नोटिस भी जारी

The ASI had submitted the report to the High Court with the signature of the TI.

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The ASI had submitted the report to the High Court with the signature of the TI.

The ASI had submitted the report to the High Court with the signature of the TI.

हाईकोर्ट की एकल पीठ ने गिरफ्तारी वारंट की तामील में लापरवाही सामने आने पर कड़ी नाराजगी जताई है। जो देवी सिंह पुलिस नहीं मिल रहा था और वारंट तामील नहीं करा पा रही थी, कोर्ट की नाराजगी के बाद पुलिस ने देवी सिंह कुशवाह को उसके घर से 15 मिनट के भीतर गिरफ्तार कर लिया और हाईकोर्ट में पेश किया। साथ ही वारंट लौटाने वाले एएसआई गोवर्धन सिंह को निलंबित भी कर दिया। गोवर्धन ने जो वारंट बिना तामील के लौटाया था, उस पर थाना प्रभारी के खुद हस्ताक्षर कर दिए। कोर्ट में झूठी जानकारी पेश करने पर अवमानना का प्रकरण दर्ज कर लिया।

दरअसल मामला भगवानदास बनाम देवाराम, देवी सिंह के बीच का है। देवाराम, देवी सिंह ने कोर्ट की रोक के बाद संपत्ति का विक्रय कर दिया। इसको लेकर भगवान दास ने अवमानना का केस लगाया है। इस प्रकरण में देवी सिंह को उपस्थित होना था, लेकिन वह न्यायालय में नहीं आ रहे थे, जिसके चलते गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया था। कोर्ट ने 10 अक्टूबर को साफ निर्देश दिए थे कि देवी सिंह कुशवाह के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट किसी भी हाल में वापस न लौटे और पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करे कि वारंट हर हाल में तामील हो। बावजूद इसके, 11 नवंबर 2025 को पुलिस स्टेशन डबरा सिटी की ओर से रिपोर्ट भेजी गई कि देवी सिंह घर पर नहीं मिला और वारंट वापस कर दिया गया। बुधवार को सुबह जब मामला सुना गया तो अदालत ने राज्य सरकार के वकील को आदेश की पिछली शर्तें याद दिलाईं। इस पर कुछ समय लेकर सरकार की ओर से बताया गया कि देवी सिंह कुशवाह को उसके घर से ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। एसपी ग्वालियर द्वारा एएसआई गोवर्धन सिंह को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही विभागीय जांच भी शुरू होगी और जांच पूरी होने तक निलंबन वापस नहीं किया जाएगा।

ऐसे चला पूरा मामला

डबरा थाने के टीआई धर्मेंद्र सिंह ने देवी सिंह को अदालत में पेश किया गया। टीआई ने बताया कि आरोपी अपने घर पर ही मिला, लेकिन उसने यह कहकर पुलिस को भ्रमित करने की कोशिश की कि वह वृंदावन गया था। अदालत के सवालों पर वह यह तक नहीं बता सका कि कहां ठहरा, किस साधन से गया और कब लौटा।

-यहीं से बड़ा खुलासा हुआ। अदालत ने पाया कि वारंट लौटाने की जो चि_ी भेजी गई थी, वह एसएचओ के नाम से भेजी गई थी, लेकिन टीआई धर्मेंद्र सिंह ने साफ कहा कि उस पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। पत्र पर एएसआई गोवर्धन सिंह ने खुद को एसएचओ लिखकर हस्ताक्षर किए थे। अदालत ने इसे गंभीर कृत्य माना और कहा कि यह साफ इशारा करता है कि एएसआई ने जानबूझकर गलत रिपोर्ट भेजी और संभवत: आरोपी के साथ मिलकर कार्रवाई को प्रभावित किया।

कोर्ट ने एएसआइ गोवर्धन सिंह के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करने और अलग से कंटेम्प्ट केस पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए। नोटिस एसपी ग्वालियर के माध्यम से 18 नवंबर 2025 तक तामील कराने का आदेश दिया गया।

-दोपहर के बाद 4 बजे फिर सुनवाई हुई। देवी सिंह ने रिहाई के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। अदालत ने 50 हजार रुपये के व्यक्तिगत मुचलके पर रिहाई की अनुमति दी, लेकिन कड़ी शर्त रखी कि हर तारीख को व्यक्तिगत उपस्थिति अनिवार्य होगी, वकील के जरिए पेशी स्वीकार नहीं की जाएगी। अगर किसी तारीख पर वह अनुपस्थित पाया गया, तो मुचलका स्वत: जब्त माना जाएगा।