नरसिंहपुर। जिले की ग्राम पंचायतों में लाखों रुपए की लागत से बनाए जा रहे अमृत सरोवर बनने से पहले ही भ्रष्टाचार और मनमानी की भेंट चढ़ते नजर आ रहे हैं। सरकार ने जल संरक्षण और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए पंचायत स्तर पर इन सरोवरों का निर्माण शुरू किया था। लेकिन हकीकत में कई परियोजनाएं वर्षों से अधूरी पड़ी हैं। ग्रामीणों के लिए पेयजल व सिंचाई का स्थायी स्रोत बनाने की शासन की मंशा अब तक फलीभूत होती नहीं दिख रही है।
गोटेगांव विकासखंड की ग्राम पंचायत सिरकोना इसकी बानगी है। यहां ग्राम झिरी में करीब 26 लाख 66 हजार रुपए की लागत से अमृत सरोवर का निर्माण कार्य दो साल पहले शुरू हुआ था। जो आज तक पूरा नहीं हो सका। निर्माण स्थल पर केवल एक छोटा सा स्टॉप डेम बना दिया गया है। जिससे बरसाती पानी रुकने की बजाय नाली जैसी जगह से बाहर निकल जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण के नाम पर केवल एक सूचना बोर्ड लगा दिया गया। लेकिन बाकी काम अधर में लटका हुआ है। सरोवर में पिछले दो वर्षों से एक बूंद भी पानी नहीं ठहरा, जबकि इस पर लाखों रुपए खर्च दिखाए जा चुके हैं। ऐसी ही तस्वीर जिले के अन्य विकासखंडों में भी देखने को मिल रही है। कई ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर परियोजना के लिए स्वीकृत राशि का सही उपयोग नहीं हुआ है। निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, वर्षों बाद भी काम पूरा नहीं हुआ है।
पहले फेज में ६३ सरोवरों का कार्य
जिले में मिशन अमृत सरोवर के तहत फेज एक में करीब 63 अमृत सरोवर बनाए गए थे। जिनमें बारिश के दौरान तो पानी संग्रहित होता है, लेकिन गर्मी आने के पहले ही सरोवर सूख जाते हैं। जिले के ग्राम इमझिरा, बिलहरा सहित जिले के अलग-अलग गांवों की है। इनमें बारिश के दिनों में तो थोड़ा बहुत पानी इकटठा होता है, लेकिन चंद दिनों बाद ही यह सरोवर फिर से सूख जाते हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत स्तरीय कर्मचारियों की लापरवाही और निर्माण एजेंसियों की मनमानी से योजनाएं केवल कागजों में पूरी हो रही हैं। वहीं जिम्मेदार अधिकारी निरीक्षण के नाम पर औपचारिकता निभाकर लौट जाते हैं।
बेफि क्र और उदासीन पंचायत का अमला
सिरकोना के झिरी में बने अमृत सरोवर की स्थिति पर उठ रहे सवालों को लेकर पत्रिका द्वारा पंचायत के सचिव ब्रजेश दीक्षित के मोबाइल नंबर ७६९३९१०९३९ और रोजगार सहायक के मोबाइल नंबर ८७७०४९४२९१ पर लगातार संपर्क किया गया। लेकिन पंचायत सचिव का मोबाइल बंद बताता रहा। वहीं रोजगार सहायक के नंबर पर रिंग जाने के बाद भी फोन रिसीव नहीं हो सका। यह एक बानगी है सिर्फ एक पंचायत की। कमोबेश यही स्थित अन्य पंचायतों में सामने आती रहती है। बहरहाल जिले में चल रही ऐसी परियोजनाओं में मनमानी कर न केवल जिम्मेदार सरकारी धन की बर्बादी कर रहे है बल्कि जल संरक्षण के उद्देश्य को भी विफ ल बनाने तुले है। अब ग्रामीण प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि अधूरे काम की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाए और सरोवरों का निर्माण जल्द पूरा कराया जाए। ताकि आने वाले बरसात में जल संचयन संभव हो सके।
वर्जन
सिरकोना के अमृत सरोवर के निर्माण के संबंध में जानकारी प्राप्त की जाएगी। इसके बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
वर्षा झारिया सीईओ गोटेगांव
Published on:
10 Aug 2025 03:00 pm