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वसों में मनमानी वसूली पर रोक नहीं, आरटीओ ने जारी किए 12 बस संचालकों को नोटिस

खजुराहो ट्रवल्स, राज कल्पना, सफर, संस्कार, गोल्डन, न्यू गोल्डन, अम्बे, बुंदेलखंड ट्रवल्स समेत 12 ट्रांसपोट्र्स को नोटिस जारी कर वसूला गया अधिक किराया वापस करने के निर्देश दिए हैं।

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बस संचालकों की बैठक लेती आरटीओ

त्योहारों का मौसम आ गया है। गांव-घर में परिवारों के साथ त्योहार मनाने के युवा, विद्यार्थी और प्रवासी मजदूर वापस भोपाल, इंदौर, दिल्ली और कोटा जैसे महानगरों से छतरपुर जिले में अपने गांव-घर लौट रहे हैं। लेकिन सफर आसान नहीं है। बस ऑपरेटरों की मनमानी के कारण यात्रियों से दोगुना-तिगुना किराया वसूला जा रहा है। स्थिति यह है कि जहां भोपाल का निर्धारित किराया 600 रुपए है, वहीं यात्रियों को 1200 रुपए या उससे भी अधिक चुकाना पड़ रहा है। हालांकि आरटीओ ने ज्यादा किराया वसूलने वाले 12 बसों संचालकों को चिंहित कर उन्हे नोटिस जारी किए हैं। खजुराहो ट्रवल्स, राज कल्पना, सफर, संस्कार, गोल्डन, न्यू गोल्डन, अम्बे, बुंदेलखंड ट्रवल्स समेत 12 ट्रांसपोट्र्स को नोटिस जारी कर वसूला गया अधिक किराया वापस करने के निर्देश दिए हैं। आरटीओ ने बस ऑपरेटरों के साथ बैठक कर निर्धारित किराया लेने की हिदायत दी है। साथ ही दोबारा उल्लंघन पाए जाने पर परमिट निरस्त करने की कार्यवाही करने की चेतावनी दी है।

कुछ ने ऑनलाइन किराया राशि घटाई, लेकिन वसूली अभी भी कर रहे ज्यादा

आरटीओ के नोटिस बाद भी केवल भोपाल ही नहीं, बल्कि दिल्ली, इंदौर और कोटा जाने वाले यात्रियों को भी राहत नहीं है। इन रूटों पर बस ऑपरेटर टिकट का मूल्य दो से तीन गुना तक बढ़ाकर वसूल रहे हैं। कुछ बसें ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफॉर्म पर किराया कम दिखाती हैं, लेकिन जब यात्री टिकट बुक करने का प्रयास करते हैं तो भुगतान के समय राशि अचानक बढ़ा दी जाती है।

यात्रियों की पीड़ा

छतरपुर के छात्र अभिषेक पाठक ने बताया, मैं भोपाल में पढ़ाई करता हूं। सामान्य दिनों में 600 रुपए किराया लगता है, लेकिन अभी 1200 रुपए वसूले जा रहे हैं। मजबूरी है, इसलिए देना पड़ रहा है। प्रशासन अगर ध्यान नहीं देगा तो यह लूट यूं ही जारी रहेगी। त्योहारों के बाद हर साल बस ऑपरेटरों की मनमानी का यह खेल दोहराया जाता है। सवाल यही है कि इस बार क्या प्रशासन इसे गंभीरता से लेकर कोई ठोस कार्रवाई करेगा, या फिर यात्री फिर से चुपचाप मनमाना किराया चुकाने को मजबूर होंगे?

नियम तो बने, लेकिन निगरानी नहीं

परिवहन विभाग ने किराया निर्धारण के लिए नियम तो तय किए हैं, लेकिन उनकी निगरानी लगभग न के बराबर है। न तो नियमित जांच होती है और न ही अचानक निरीक्षण। यात्रियों को मजबूरी में मनमाना किराया चुकाना पड़ता है। कई बार यात्रा के समय या तुरंत टिकट की आवश्यकता होने के कारण लोग विकल्प न होने से ओवरचार्जिंग का शिकार हो जाते हैं।

सोशल मीडिया पर गुस्सा

बस संचालकों की इस मनमानी ने आम यात्रियों को नाराज कर दिया है। शहर के कई प्रतिष्ठित सोशल मीडिया ग्रुपों में लोग लगातार अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। कई पोस्ट में लिखा जा रहा है कि यह तो सीधे-सीधे लूट है। किराया तय है, लेकिन जब भीड़ बढ़ती है तो दोगुना वसूली कर ली जाती है। लोग प्रशासन और परिवहन विभाग से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं।इनका कहना हैअधिक किराया लेने की शिकायत पर 12 बसों के संचालकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अधिक किराया वापस करने को कहा है। अधिक किराया वसूलने पर परमिट निरस्त करने की चेतावनी भी दी है। लगातार नजर रखी जाएगी।

मधु सिंह, आरटीओ, छतरपुर


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