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16 करोड़ से भरे गए थे दमोह-जबलपुर मार्ग के 40 किमी हिस्से पर बने गड्ढे, नतीजा हालत जस के तस

-सड़क जर्जर होने के कारण पाटन रूट पर ६० फीसदी ट्राफिक हुआ डायवर्ट -हादसों की भी बन रही वजह, नई सड़क बनने तक लोगों को उठाना पड़ेगी परेशानी

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दमोह

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Aakash Tiwari

Aug 31, 2025



दमोह. दमोह-जबलपुर नेशलन हाइवे इन दिनों हादसों की वजह बन रहा है। ४० किमी तक सफर बेहद ही थकाने वाला है। मार्ग से गुजरने पर पूरा शरीर हिल जाता है। जानकर हैरानी होगी कि पिछले साल अक्टूबर महीने में कैबिनेट की बैठक के चलते इस मार्ग की मरम्मत कराई गई थी। १६ करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि भी खर्च की गई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन चुके हैं।
आलम यह है कि इस मार्ग से जाने वाला ट्राफिक डायवर्ट हो गया है। ६० फीसदी वाहन अब पाटन मार्ग से होते हुए जबलपुर आना-जाना कर रहे हैं। इधर, एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि सड़क मरम्मत के लायक नहीं बची है। सड़क का बेस ही खराब हो गया है। सुधार के बाद सड़क वापस क्षतिग्रस्त हो रही है। नई सड़क बनने के बाद ही लोगों को परेशानी से निजात मिल पाएगी। सवाल यह है कि जब मरम्मत कराने के लिए टेंडर डाले गए थे। उस दौरान इस स्थिति को क्यों नजर अंदाज किया गया। बिना प्लानिंग के क्यों १६ करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए गए।
-अब १४०० करोड़ से सड़क बनाने की तैयारी
दमोह-जबलपुर नेशनल हाइवे का काम मार्च २०२६ में शुरू हो सकता है। डीपीआर मंजूरी के लिए मंत्रालय भेजी जा चुकी है। जबलपुर से कटंगी और दमोह से अभाना तक फोरलेन सड़क बनाई जाएगी। बाकी सड़क दस मीटर चौड़ाई वाली रहेगी। बताया जाता है कि नवंबर २०२४ में डीपीआर बनाने का काम शुरू हुआ था। अलाइमेंट फायनल करने के लिए प्रोजेक्ट को दिल्ली भेजा गया था। फरवरी में प्रोजेक्ट को मंजूरी मिली है। साथ ही सर्वे हो चुका है। मार्च २०२६ में राशि मंजूर होने की संभावना है।
-ठेकेदार से कराया जाएगा पेंचवर्क
नोहटा, अभाना, सिग्रामपुर जैसी जगहों पर सड़क के हाल बेहद खराब हैं। कंटगी के पास भी सड़क की स्थिति वाहन चलने योग्य नहीं बची है। बताया जाता है कि बारिश के बाद संबंधित ठेकेदार से मरम्मत का काम कराया जाएगा ताकि कुछ हद तक सड़क ठीक हो सके।
-दो साल तक नहीं दिया गया था ध्यान
बताया जाता है कि एमपीआरडीसी ने २०२०-२१ के बाद करीब दो साल तक सड़क की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया। इस वजह से सड़क धीरे-धीरे खराब होना शुरू हो गई। जबकि दमोह-सागर मार्ग भी एमपीआरडीसी ने बनाया था, लेकिन रखरखाव सही होने के कारण यहां की सड़क अभी भी सही है।

फैक्ट फाइल
-१६ करोड़ रुपए से ४० से ५० किमी सड़क की हुई थी मरम्मत।
-पहले से ज्यादा खराब नजर आने लगी दमोह-जबलपुर सड़क।
-६० फीसदी ट्रेेफिक हुए पाटन मार्ग पर डायवर्ट।
-इस मार्ग पर वाहनों की रफ्तार भी हुई धीमी।
-बसों को इस मार्ग से आने-जाने में लगता है एक घंटे का ज्यादा समय।

वर्शन
सड़क की हालत ठीक नहीं है। मरम्मत कराने से भी कोई फायदा नहीं हो रहा है। कुछ दिन बाद सड़क वापस से खराब हो रही है। सड़क का बेस खत्म हो चुका है। नई सड़क बनने पर ही सहुलियत होगी। हालांकि बारिश थमते ही ठेकेदार से मरम्मत कराएंगे ताकि कुछ हद तक राहत लोगों को मिल सके।
अमृत लाल साहू, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनएचएआई जबलपुर