
सिणधरी चौराहे से लेकर रीको थाना क्षेत्र तक हालात ऐसे हैं जैसे प्रशासन ने आंखें मूंद ली हों। रीको थाना के पास करोड़ों रुपए की रीको भूमि पर अवैध बजरी मंडी खुलेआम चल रही है और पुलिस और खनिज विभाग की कार्रवाइयों व बार-बार के निर्देशों के बावजूद न डंपर्स की कतार कम हो रही है और न ही बजरी कारोबारियों में किसी तरह का खौफ दिखाई दे रहा है। यह स्थिति कई वर्षों से जस की तस बनी हुई है,
रीको की जमीन पर डंपर एक-एक कर खड़े हो जाते हैं। कई तो सडक़ किनारे ही बजरी खाली कर देते हैं। लोडर दिनभर लदे रहते हैं। रीको के खाली पड़े भूखंडों की दीवारें तोडक़र पूरा क्षेत्र अवैध बजरी बाजार में तब्दील कर दिया गया है। हाईवे के किनारे भी बजरी, पत्थर व अन्य वाहनों की कतार लगी रहती है, जहां सुबह से शाम तक खुलेआम अवैध कारोबार चलता रहता है। रीको की ओर जाने वाले लोगों को रास्ता तक नहीं दिया जाता।
बजरी व्यवसाय के फैलाव के साथ आसपास में ढाबे, चाय की थडिय़ां और छोटी दुकानों की भरमार हो गई हैं। इन सबने भी रीको और हाईवे की जमीन को अपना कब्जा बना लिया है। रीको प्रशासन की तरफ से इसे हटाने के लिए न तो नियमित कार्रवाई की जा रही है और न ही किसी स्थायी समाधान की पहल। नतीजा अवैध बाजार दिन-ब-दिन और बड़ा होता जा रहा है।
रीको इलाके में अंदर जाने वाले रास्तों पर पत्थर और बजरी से भरे भारी ट्रक इस तरह खड़े होते हैं कि राहगीरों को यह समझना मुश्किल हो जाता है कि असली रास्ता कहां है। जो रास्ता मिल भी जाए, वहां वाहन मोडऩे तक को जगह नहीं बचती। भारी वाहनों की आवाजाही से नाले पर बने फेरो कवर और अन्य निर्माण कार्य टूटकर बिखर चुके हैं। उड़ती धूल ने स्थिति और भयावह कर दी है, लोग सांस संबंधी दिक्कतों से परेशान होने लगे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि शिकायतों के बाद डंपरों को हटाया जरूर जाता है, लेकिन सिर्फ दो दिन के लिए। तीसरे दिन फिर वही डंपर उसी स्थान पर खड़े मिलते हैं। यह चक्र वर्षों से चल रहा है। लोगों का सवाल है कि क्या कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए होती है? यदि प्रशासन वाकई गंभीर होता, तो डंपर हर दो दिन में नहीं लौटते। पुलिस- प्रशासन की कार्रवाईयों में न सख्ती है और न ही निरंतरता। उड़ती धूल, जाम, अवैध कब्जे और स्वास्थ्य समस्याओं के बीच जनता हर रोज परेशान है, पर किसी विभाग की जवाबदेही तय नहीं हो रही।
Published on:
28 Nov 2025 09:10 pm
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