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सर्विस टैक्स स्वेच्छिक, इसे जबरन नहीं वसूल सकते, फोरम ने अनुचित व्यापार बताते हुए 3000 की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया

The fake cafe added a ₹215 service tax to the food bill. The customer protested, but the waiter refused, saying it would have to be paid in an expensive hotel.

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The fake cafe added a ₹215 service tax to the food bill. The customer protested, but the waiter refused, saying it would have to be paid in an expensive hotel.

The fake cafe added a ₹215 service tax to the food bill. The customer protested, but the waiter refused, saying it would have to be paid in an expensive hotel.

जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग (उपभोक्ता फोरम) होटल में सर्विस टैक्स वसूलने के मामले में अहम आदेश पारित किया है। केंद्र शासन के सर्कुलर के अनुसार सर्विस टैक्स स्वेच्छिक है। इससे जबरन वसूल नहीं कर सकते हैं। होटल में सर्विस टैक्स वसूलकर अनुचित व्यापार किया है। आयोग ने फर्जी कैफे दोषी मानते हुए उपभोक्ता से वसूले गए 215 रुपए वापस करने का आदेश दिया है। साथ ही सर्विस टैक्स के पैसे वसूल कर जो मानसिक पीड़ा पहुंचाई है, उसके बदले में 3000 रुपए व केस लड़ने के 1000 रुपए अलग से देने का आदेश दिया है।

विजय नगर निवासी ब्रजेश शर्मा 16 अप्रैल 2024 को वे अपने परिजनों के साथ फर्जी कैफे में भोजन करने गए थे। कैफे द्वारा उन्हें कुल 2789.42 रुपए का बिल दिया गया, जिसमें 215 रुपए सर्विस चार्ज के रूप में वसूले गए। शर्मा ने बिल की जांच करने पर आपत्ति दर्ज कराई। यह स्वेच्छिक है। इससे उपभोक्ता की सहमति के बिना नहीं वसूल कर सकते हैं। इसको लेकर नोटिस जारी किया गया, लेकिन कैफे ने शिकायत को संज्ञान नहीं लिया। इसको लेकर उपभोक्ता फोरम में वाद प्रस्तुत किया।

विरोध करने पर जवाब मिला कि महंगे होटल में लगता है सर्विस टैक्स

ब्रजेश शर्मा ने फोरम में तर्क दिया कि इस संबंध में कैफे प्रबंधन से मौखिक और फोन पर भी विरोध दर्ज कराया, लेकिन कैफे ने न केवल शिकायत को अनसुना किया बल्कि जबरन सेवा शुल्क वसूला। मजबूर होकर शर्मा ने उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया।

- विरोध करने पर वेटर ने कहा कि महंगा होटल है। इसमें सर्विस टैक्स अदा करना होगा।

- इस मामले में फर्जी कैफे प्रबंधन की ओर से कोई ठोस जवाब पेश नहीं किया गया और न ही लिखित प्रत्युत्तर दिया गया।

- उपभोक्ता फोरम ने प्रस्तुत दस्तावेजों, बिल की प्रति और गवाहियों के आधार पर पाया कि कैफे द्वारा बिना सहमति के सेवा शुल्क वसूलना अनुचित व्यापार व्यवहार है।

45 दिन में दिन में देने होंगे पैसे

आयोग अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद शर्मा और सदस्य ज्योति रमण मिना की बेंच ने आदेश में कहा कि फर्जी कैफे उपभोक्ता से वसूले गए 215 रुपये (सर्विस चार्ज) को 45 दिनों के भीतर वापस करे। इसके साथ ही 3,000 रुपए मानसिक प्रताड़ना और 1,000 रुपये मुकदमे का खर्च भी उपभोक्ता को अदा किए जाएं।