श्रावणी उपाकर्म अनुष्ठान में किया दशविधि स्नान और यज्ञोपवीत का शुद्धिकरण
नरसिंहपुर। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा पर पुण्य सलिला मां नर्मदा के बरमान रेत घाट पर विप्र समाज का श्रावणी उपाकर्म अनुष्ठान आयोजित किया गया। महाकाल भक्त परिवार द्वारा आयोजित इस अनुष्ठान का शुभारंभ स्वस्तिवाचन के साथ हुआ। जिसमें पंडितों ने वेद मंत्रों का उच्चारण किया और सभी के लिए मंगलकामना की। इसके बाद संकल्प पूर्वक दशविधि स्नान किया गया। जिसमें पंडितों ने दस प्रकार के स्नान किए, जो आत्म शुद्धि और पवित्रता के प्रतीक हैं। इसके बाद देव तर्पण, ॠ षि तर्पण और पितृ तर्पण किया गया। जिसमें पंडितों ने देवताओं, ऋ षियों और पितरों को तर्पण किया। जो उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है। इसके बाद तीर्थ पूजन और ऋ षि पूजन किया गया। जिसमें पंडितों ने तीर्थ स्थानों और ऋ षियों की पूजा की।
अंत में यज्ञोपवीत पूजन किया गया। जिसमें पंडितों ने यज्ञोपवीत की पूजा की और नर्मदा में पुन स्नान कर नया यज्ञोपवीत धारण किया। अनुष्ठान के आचार्य पं. देवव्रत पाराशर ने बताया कि यह अनुष्ठान विप्रजनों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस अनुष्ठान में पापों से मुक्ति के लिए दशविधि स्नान, प्रायश्चित के लिए महासंकल्प और यज्ञोपवीत का शुद्धिकरण किया जाता हैै। उन्होंने कहा कि यह आत्मशुद्धि का पर्व है। वर्ष के दौरान जाने अंजाने में किए गए पापकर्मो से मुक्ति और प्रायश्चित के लिए इस पर्व के मनाने का शास्त्रों में भी विधान है। इस आयोजन में क्षेत्र से बड़ी संख्या में विप्रजन शामिल हुए और अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ इन कार्यों में भाग लिया। गौरतलब है कि यह आयोजन विप्र समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को निभाने के साथ-साथ अपनी एकता और संगठन को भी प्रदर्शित करते हैं।
श्रावणी उपाकर्म अनुष्ठान में किया दशविधि स्नान और यज्ञोपवीत का शुद्धिकरण
नरसिंहपुर। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा पर पुण्य सलिला मां नर्मदा के बरमान रेत घाट पर विप्र समाज का श्रावणी उपाकर्म अनुष्ठान आयोजित किया गया। महाकाल भक्त परिवार द्वारा आयोजित इस अनुष्ठान का शुभारंभ स्वस्तिवाचन के साथ हुआ। जिसमें पंडितों ने वेद मंत्रों का उच्चारण किया और सभी के लिए मंगलकामना की। इसके बाद संकल्प पूर्वक दशविधि स्नान किया गया। जिसमें पंडितों ने दस प्रकार के स्नान किए, जो आत्म शुद्धि और पवित्रता के प्रतीक हैं। इसके बाद देव तर्पण, ॠ षि तर्पण और पितृ तर्पण किया गया। जिसमें पंडितों ने देवताओं, ऋ षियों और पितरों को तर्पण किया। जो उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए किया जाता है। इसके बाद तीर्थ पूजन और ऋ षि पूजन किया गया। जिसमें पंडितों ने तीर्थ स्थानों और ऋ षियों की पूजा की।
अंत में यज्ञोपवीत पूजन किया गया। जिसमें पंडितों ने यज्ञोपवीत की पूजा की और नर्मदा में पुन स्नान कर नया यज्ञोपवीत धारण किया। अनुष्ठान के आचार्य पं. देवव्रत पाराशर ने बताया कि यह अनुष्ठान विप्रजनों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस अनुष्ठान में पापों से मुक्ति के लिए दशविधि स्नान, प्रायश्चित के लिए महासंकल्प और यज्ञोपवीत का शुद्धिकरण किया जाता हैै। उन्होंने कहा कि यह आत्मशुद्धि का पर्व है। वर्ष के दौरान जाने अंजाने में किए गए पापकर्मो से मुक्ति और प्रायश्चित के लिए इस पर्व के मनाने का शास्त्रों में भी विधान है। इस आयोजन में क्षेत्र से बड़ी संख्या में विप्रजन शामिल हुए और अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ इन कार्यों में भाग लिया। गौरतलब है कि यह आयोजन विप्र समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जहां वे अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को निभाने के साथ-साथ अपनी एकता और संगठन को भी प्रदर्शित करते हैं।
Published on:
10 Aug 2025 03:14 pm