सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि कई हाईकोर्ट के जज उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं, लेकिन कुछ जज अपेक्षित क्षमता और योग्यता होने के बावजूद बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की उद्घाटन व्याख्यान शृंखला को संबोधित करते हुए उन्होंने न्याय प्रणाली में विश्वास बहाल करने के लिए आत्मनिरीक्षण की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हर न्यायाधीश को प्रतिदिन सोने से पहले खुद से यह प्रश्न करना चाहिए कि क्या उसने उस व्यवस्था का कर्ज चुकाया है, जिसने उस पर एक दिन में भारी खर्च किया है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बार और बेंच के बीच आदर्श सहयोग के जरिए लंबित मामलों का निपटारा बिना अतिरिक्त ढांचे के भी तेज हो सकता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारत में न्याय तक पहुंच अभी भी संपन्न लोगों का विशेषाधिकार है। उन्होंने कानूनी सहायता को 'लोकतंत्र की संवैधानिक ऑक्सीजन' बताते हुए वरिष्ठ वकीलों से हर माह कम से कम दो निशुल्क मामले लेने का आग्रह किया। उन्होंने मध्यस्थता को विवाद समाधान का प्रभावी साधन बताया और कहा कि अदालतें केवल निर्णय देती हैं, जबकि मध्यस्थ रिश्तों को भी बनाए रखते हैं।
Published on:
23 Aug 2025 12:03 am