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STRAY DOGS: सुप्रीम कोर्ट ने कहा – निकायों की निष्क्रियता से बिगड़े हालात, परेशानी सब भुगत रहे

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को छह से आठ सप्ताह के भीतर शेल्टर होम्स में भेजने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय […]

भारत

Nitin Kumar

Aug 15, 2025

Bengaluru Stray Dog Incident
आवारा कुत्ते । (फोटो: X Handle Sumit.)

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें दिल्ली-एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को छह से आठ सप्ताह के भीतर शेल्टर होम्स में भेजने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह मामला एक ओर मानवीय पीड़ा और दूसरी ओर पशु-प्रेमियों के दृष्टिकोण का है।

पीठ ने नगर निगमों की निष्क्रियता पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि 'स्थानीय प्राधिकरण जिम्मेदारी नहीं निभा रहे।' सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि देश में हर साल 37 लाख डॉग बाइट के मामले होते हैं और 20,000 लोग रेबीज से मरते हैं। दूसरी ओर, कपिल सिब्बल व अन्य वरिष्ठ वकीलों ने तर्क दिया कि पर्याप्त शेल्टर होम नहीं हैं और यह आदेश बड़े पैमाने पर कुत्तों को उठाने के खिलाफ पूर्व आदेशों की अनदेखी करता है।

आदेश पर रोक से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नगर निगमों ने वर्षों से शेल्टर होम निर्माण और नसबंदी में लापरवाही की है। एनजीओ पक्ष ने दावा किया कि दिल्ली-एनसीआर में लगभग 10 लाख आवारा कुत्ते हैं, जबकि शेल्टर क्षमता महज 1,000 की है। कोर्ट ने इन आंकड़ों को ‘अनुभवजन्य’ बताते हुए सबूत मांगे। वहीं, 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा गया कि समस्या के समाधान में कोई ढिलाई या समझौता नहीं होना चाहिए।

पीठ की मुख्य टिप्पणियां

-सरकार और स्थानीय निकाय कुछ नहीं कर रहे।

-जिम्मेदारी निभाने के लिए प्राधिकरण आगे आएं।

-मुद्दा केवल पशु अधिकार का नहीं, मानवीय पीड़ा का भी है।