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छतरपुर की दो काली सच्चाइयां: एक ओर 100 करोड़ का अवैध गुटखा साम्राज्य, दूसरी ओर इंजेक्शन से नशे में डूबते युवा

पहेली, पुजारी और आरडीएक्स नाम से जर्दायुक्त गुटखा का बड़े पैमाने पर उत्पादन जारी है। दूसरी ओर इंजेक्शन, स्मैक और हेरोइन की गिरफ्त में सैकड़ों युवा अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं।

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गुटखा फैक्ट्री

जिले में दो बड़े और खतरनाक अपराध तंत्र समानांतर रूप से फैल रहे हैं। एक तरफ नौगांव और छतरपुर क्षेत्र अवैध गुटखा माफिया का गढ़ बनते जा रहे हैं, जहां पहेली, पुजारी और आरडीएक्स नाम से जर्दायुक्त गुटखा का बड़े पैमाने पर उत्पादन जारी है। दूसरी ओर इंजेक्शन, स्मैक और हेरोइन की गिरफ्त में सैकड़ों युवा अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद न तो गुटखा माफिया कमजोर हुए और न ही नशे का यह फैलता जाल थम रहा है।

फैक्ट्रियों का संचालन और सप्लाई नेटवर्क

अवैध गुटखे के कारोबार ने पिछले कुछ वर्षों में व्यापक रूप ले लिया है। नौगांव शहर और उसके आसपास ईशानगर रोड, धौर्रा रोड, डिस्लरी रोड, गर्रोली रोड, वीरेंद्र कॉलोनी, परम कॉलोनी और अलीपुरा थाना क्षेत्र में देर रात तक चलने वाली अवैध फैक्ट्रियां खुलेआम गुटखा तैयार कर रही हैं। पहेली, पुजारी और आरडीएक्स जैसे मिक्स ब्रांड गुटखे को निजी वाहनों के जरिये उत्तर प्रदेश की सीमा तक पहुंचाया जाता है। इस दौरान बड़े पैमाने पर जीएसटी चोरी भी की जा रही है। जिले में इस अवैध कारोबार का सालाना टर्नओवर लगभग 100 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है।

प्रशासन की कार्रवाई और एफआईआर न होने का मामला

विधानसभा चुनाव के दौरान तत्कालीन कलेक्टर संदीप जीआर और एसपी अमित सांघी ने छापामार कार्रवाई में भारी मात्रा में जर्दायुक्त गुटखा, पाउच और मशीनें जब्त की थीं, लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग में कथित सेटिंग के चलते एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी। यही वजह है कि माफियाओं के हौसले और अधिक बुलंद हो गए। बीते दिसंबर में जीएसटी टीम ने पहेली और पुजारी सुपारी के नाम पर चल रही टैक्स चोरी पकड़ी और तमन्ना ट्रेडर्स की संचालक सीमा कठल को समन जारी किया। इसके बाद भी फैक्ट्रियों का संचालन जारी है।

जिले में बढ़ता नशा: इंजेक्शन और ड्रग्स का खतरा

उधर, जिले का दूसरा बड़ा संकट नशा है। जिला अस्पताल के ओएसटी केंद्र के रिकॉर्ड बताते हैं कि जिले में 500 से अधिक युवा नशे के आदी हैं। इनमें 140 युवा ऐसे हैं जो इंजेक्शन के माध्यम से नशा लेते हैं और हाई-रिस्क श्रेणी में आते हैं। संक्रमित सुई के कारण इनके एचआईवी संक्रमित होने का खतरा कहीं अधिक है। स्मैक और हेरोइन का चलन भी जिले में तेजी से बढ़ रहा है। अब तक करीब 200 लोगों को नशा मुक्ति प्रक्रिया में दर्ज किया गया है, जिनमें से 165 की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।

गांव-गांव जाकर डेटा संग्रह और उपचार

ओएसटी केंद्र और कुछ सामाजिक समूह गांव-गांव जाकर नशे के शिकार लोगों का डेटा जुटा रहे हैं और उन्हें उपचार व परामर्श के लिए केंद्र से जोड़ रहे हैं। केंद्र प्रभारी ब्रजेश चतुर्वेदी का कहना है कि इंजेक्शन आधारित नशा जिले के लिए गंभीर खतरा बन चुका है और इस पर लगातार नजर रखी जा रही है।

दोहरी संकट की चुनौती: प्रशासन के लिए चेतावनी

जिले की यह दोहरी स्थिति एक ओर तेजी से फैलता गुटखा माफिया और दूसरी ओर नशे की गिरफ्त में जकड़ते युवा समाज और प्रशासन दोनों के लिए गहरी चिंता का विषय है। अगर जल्द ही इन दोनों मोर्चों पर कड़े, पारदर्शी और निरंतर कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में इसका गंभीर सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी असर देखने को मिल सकता है।

अधिकारियों का कहना है

अवैध गुटखा पर समय-समय पर कार्रवाई की गई है। सूचना मिलने पर अगली कार्रवाई भी की जाएगी। सैंपल फेल होने पर मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

संतोष तिवारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी

जिले में इंजेक्शन से ड्रग लेने वाले युवाओं की संख्या देखी गई है। केंद्र में ऐसे लोगों पर लगातार नजर रखी जा रही है। नोडल अधिकारी के मार्गदर्शन में हम निरीक्षण और उपचार कर रहे हैं।

ब्रजेश चतुर्वेदी, प्रभारी, ओएसटी केंद्र