
A single bench of the High Court has taken a tough stand on the construction done in violation of the injunction order and has ordered immediate removal of the construction.
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने निषेधाज्ञा आदेश का उल्लंघन कर किए गए निर्माण पर सख्त रुख अपनाते हुए निर्माण को तत्काल हटाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब अदालत ने अस्थायी निषेधाज्ञा जारी कर रखी थी, तब उस अवधि में किए गए किसी भी प्रकार के निर्माण को वैध नहीं माना जा सकता। प्रतिवादियों ने न्यायालय से माफी भी मांगी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें माफ नहीं किया। 12 सितंबर तक खुद से निर्माण तोडऩा होगा। 15 सितंबर तक न्यायालय में फोटो पेश करने होंगे। यदि आदेश का पालन नहीं किया तो संपत्ति कुर्क होगी और तीन महीने की सिविल जेल के लिए जाना पड़ेगा
दरअसल बिरथरियों का पुरा गिरवाई निवासी गोमती बाई आरोप लगाया था कि प्रतिवादियों ने अदालत के निषेधाज्ञा आदेश की अनदेखी करते हुए मकान पर अवैध निर्माण कर लिया। आयुक्त की 13 दिसम्बर 2017 की रिपोर्ट में यह स्पष्ट था कि संबंधित मकान केवल एक मंजिला था और प्लिंथ स्तर तक ही निर्माण हुआ था। इसके बावजूद प्रतिवादियों ने उस पर पहली मंजिल खड़ी कर दी और प्लिंथ एरिया पर भी दीवारें खड़ी कर टिन शेड डाल दिया।
सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अशोक कुमार, सुनीता, निर्मला ने लिखित माफी प्रस्तुत करते हुए स्वीकार किया कि उन्होंने निषेधाज्ञा आदेश के बावजूद निर्माण किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी गलती सुधारने को तैयार हैं और अवैध निर्माण को स्वयं हटा देंगे। अदालत ने उनकी इस माफी को स्वीकार तो किया, लेकिन यह भी चेतावनी दी कि यदि आदेश का पालन नहीं हुआ तो उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाएगी।
- अशोक कुमार व सुनीता को आदेश दिया गया कि वे 12 सितम्बर 202 तक प्लिंथ स्तर पर किया गया अवैध निर्माण पूरी तरह हटा दें और 15 सितम्बर तक रिपोर्ट व फोटो अदालत में प्रस्तुत करें।
-प्रतिवादी निर्मला को निर्देश दिया गया कि वह दो दिन के भीतर पहली मंजिल को गिराने की प्रक्रिया शुरू करें और 15 सितम्बर तक प्रगति रिपोर्ट व फोटो पेश करें। अदालत ने माना कि पूरी मंजिल को तुरंत गिराना संभव नहीं है, लेकिन ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू करना अनिवार्य होगा।
-अदालत ने साफ कहा कि यदि का पालन नहीं हुआ तो संपत्ति कुर्क करने, तीन माह की सिविल जेल की सजा देने और अवमानना अधिनियम व संविधान के अनुच्छेद 215 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी। अगल सुनवाई 16 सितंबर को होगी। इन्हें सुनवाई के दौरान मौजूद रहना होगा।
Published on:
12 Sept 2025 11:09 am
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