
एयरबस कंपनी के ए-320 विमानों में सामने आई तकनीकी खामी ने वैश्विक विमानन उद्योग को यह याद दिलाया है कि आधुनिक तकनीक कितनी भी उन्नत क्यों न हो, सुरक्षा प्रक्रियाओं की कठोरता और निरंतर समीक्षा भी जरूरी होती है। ए-320 के छह हजार से अधिक विमानों में सौर विकिरण के कारण कंप्यूटर डेटा में गड़बड़ी होने का जोखिम कोई मामूली बात नहीं है। हालांकि तकनीकी दृष्टि से यह समस्या सॉफ्टवेयर अपडेट या सीमित हार्डवेयर बदलाव से हल की जा सकती है, लेकिन वास्तविक मुद्दा इससे कहीं आगे जाता है- यात्री सुरक्षा और उत्पादन के दौरान गुणवत्ता जांच की विश्वसनीयता। इस घटना का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि जिस त्रुटि का असर उड़ान के दौरान विमान के नियंत्रण पर पड़ सकता है, वह इतने वर्षों तक न तो निर्माण चरण में पकड़ी गई, न ही लगातार होने वाले टेस्टिंग चक्र में। जब तक एक वास्तविक उड़ान में घटना न घटी, तब तक यह खामी सामने ही नहीं आई। 30 अक्टूबर को जेटब्लू की एक उड़ान के दौरान यह गंभीर स्थिति सामने आई जब विमान अचानक नीचे गिरने लगा। इसकी इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। इसमें पाया गया कि सोलर रेडिएशन से कंट्रोल सिस्टम का डेटा करप्ट हो गया था। यह स्थिति उस वैश्विक परीक्षण ढांचे पर प्रश्नचिह्न लगाती है जिसका उद्देश्य ऐसी खतरनाक स्थितियों का पहले से पता लगाना है।
विडंबना यह है कि आधुनिक एयरोनॉटिक्स में कई टेस्टिंग व वैलिडेशन चक्र शामिल होते हैं, फिर भी यह खामी वास्तविक उड़ान के अनुभव में जाकर ही पकड़ में आई। इससे यह स्पष्ट होता है कि तकनीकी जटिलता बढऩे के साथ परीक्षण का दायरा भी उसी अनुपात में बढ़ाया जाना चाहिए। दूसरा पहलू और भी महत्वपूर्ण है- यात्रियों की सुरक्षा का भरोसा। दुनिया भर में लाखों लोग हर दिन यह विश्वास करके विमान में बैठते हैं कि उनकी यात्रा सुरक्षित होगी और विमान से लेकर सॉफ्टवेयर तक हर घटक कठोर जांच से गुजरा होगा। ऐसे में जब किसी कंपोनेंट की समस्या उड़ान के दौरान स्वयं सामने आती है, तो यात्रियों का यह भरोसा चोटिल होता है। यह केवल तकनीकी त्रुटि का मामला नहीं, बल्कि मानव सुरक्षा और विश्वास का प्रश्न है। हालांकि एयरलाइंस और नियामकों ने समय रहते सॉफ्टवेयर फिक्स लागू करके स्थिति को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया, लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या यह फिक्स पर्याप्त है? एयरबस जैसे निर्माताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके क्वालिटी चेक और वैलिडेशन मानक उतने ही सख्त हों जितनी आधुनिक तकनीक जटिल होती जा रही है। विमानन सुरक्षा के किसी भी पहलू को हल्के में नहीं लिया जा सकता। यात्रियों की सुरक्षा किसी अपडेट पर निर्भर नहीं होनी चाहिए- वह निर्माता की प्रतिबद्धता और सिस्टम की विश्वसनीयता पर आधारित होनी चाहिए।
Published on:
01 Dec 2025 03:00 pm
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