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प्रसंगवश: सड़क पर गड्ढे से हादसे पर मुआवजे का आदेश, छत्तीसगढ़ में भी हो लागू

प्रदेश में भी सड़कों में गड्ढे ही गड्ढे हैं। आएदिन लोग हो रहे हादसे का शिकार

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Road Accident

हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण आदेश दिया, जिसके तहत सड़क पर गड्ढों के कारण दुर्घटना में मौत पर छह लाख रुपए का मुआवजा देने को कहा गया। हाईकोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि दुर्घटना में घायल होने वालों को भी 50 हजार रुपए से लेकर ढाई लाख रुपए तक का मुआवजा दिया जाना चाहिए। साथ ही निर्देशित किया कि दावा प्राप्त होने की तारीख से छह से आठ सप्ताह के भीतर पात्र व्यक्ति को मुआवजा दिया जाना चाहिए। हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट का यह आदेश महाराष्ट्र सरकार और शहरी निकायों के लिए है, लेकिन यह छत्तीसगढ़ समेत अन्य प्रदेशों के लिए भी नजीर बन सकता है। हाईकोर्ट ने कहा कि टैक्सपेयर जनता को सुरक्षित सड़क सुविधा प्रदान करना अधिकारियों और राज्य एजेंसियों की जिम्मेदारी है। हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में यह भी कहा कि जब तक गड्ढों से संबंधित मौतों और चोटों के लिए जिम्मेदार लोगों को आर्थिक रूप से व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा, तब तक वे इस मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझ पाएंगे। बॉम्बे हाईकोर्ट के इस आदेश को नजीर मानते हुए इसे छत्तीसगढ़ में भी लागू किया जाना चाहिए। क्योंकि छत्तीसगढ़ में गांवों से लेकर शहरी सड़कों और स्टेट हाईवे से लेकर नेशनल हाईवे तक खस्ताहाल है। समय-समय पर स्थानीय कोर्ट और हाईकोर्ट इसे लेकर नाराजगी जाहिर करते रहते हैं, लेकिन जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंगती है। प्रदेश में हर साल बारिश में अधिकांश सड़कें दलदल सी हो जाती हैं। हर साल विभागीय मंत्री महोदय बैठक कर विभागीय अधिकारियों को निर्देश दे देते हैं कि जैसे ही बारिश खत्म हो उसके बाद सभी सड़कों की मरम्मत कर दी जाए। मानो सड़कें लोगों के आवागमन की सुविधा के लिए न होकर अफसरों-ठेकेदारों के लिए कमाई के लिए ही बनाई जाती हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस लालफीताशाही को ध्यान में रखते हुए भी कहा कि गड्ढों से होने वाली दुर्घटनाओं के पीडि़तों को समय पर मुआवजा देने में विफल रहने पर नगर निगम आयुक्त, जिला कलेक्टर, सीईओ, अध्यक्ष या प्रधान सचिव व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। बाद में यह राशि संबंधित अधिकारी, इंजीनियर या ठेकेदार से वसूली जा सकती है। हमारी सरकार को भी चाहिए कि खस्ताहाल सड़कों से हादसों पर जवाबदेही तय हो और पीडि़तों को मुआवजा दिया जाए। -अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@in.patrika.com