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प्रसंगवश: राजस्व के पेंडिंग मामलों की लंबी लिस्ट, नहीं चलेगी पेशी पर पेशी

छत्तीसगढ़ में राजस्व से संबंधित करीब डेढ़ लाख प्रकरण लंबित हैं...

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छत्तीसगढ़ में राजस्व के बढ़ते प्रकरणों और लंबित मामलों की सूची बहुत ही बड़ी है। शासन-प्रशासन को मिलने वाली शिकायतों में जमीन के सीमांकन, नामांकन, अतिक्रमण सहित तहसीलदार से लेकर पटवारी तक की शिकायतें शामिल होती हैं। राजस्व के लंबित मामलों की गूंज विधानसभा के जो सत्र होते हैं, उन सभी सत्रों में सदन में सुनाई देती है। विधानसभा के बजट सत्र 2025 के दौरान राजस्व मंत्री ने सदन में जो आंकड़े प्रस्तुत किए थे, उसके मुताबिक प्रदेश में 1,49,479 राजस्व प्रकरण लंबित थे। इनमें से समय-सीमा के अंदर 82,274 और समय-सीमा के बाहर 67,205 प्रकरण थे। वहीं, राजस्व न्यायालय में सीमांकन के कुल 9,080 प्रकरण लंबित थे। इनमें से 7,209 प्रकरण समय-सीमा के भीतर और 1,871 प्रकरण समय-सीमा के बाहर के हैं। इसी तरह जब मई में सुशासन त्योहार का आयोजन किया गया, उसमें भी प्रदेशभर से राजस्व संबंधित आवेदन बड़ी संख्या में मिले थे। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से राजस्व विभाग में करीब 3 लाख 52 हजार 759 आवेदन आए थे, जिनमें शिकायतें और मांगें शामिल थी। आम आदमी राजस्व संबंधी मामलों को लेकर विभाग से लेकर पटवारी, तहसीलदार और मंत्रालय तक जाता है, वहां से अफसरशाही में फंस कर ये शिकायतें फाइलों में कैद हो जाती हैं। प्रदेश में बढ़ते राजस्व प्रकरणों को देखते हुए मई माह में सरकार ने सप्ताह में कम से कम दो दिन राजस्व कोर्ट लगाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि इन मामले में हीला-हवाली करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों पर कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई भी की जाएगी। बढ़ते लंबित राजस्व प्रकरणों पर सीएम ने सख्त रुख अपनाते हुए मंगलवार को सभी कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिए कि अब पेशी पर पेशी का दौर खत्म हो और सभी राजस्व प्रकरणों का निराकरण समय-सीमा के भीतर किया जाए। सीएम के सख्त रुख और इस निर्देश के बाद यह उम्मीद की जानी चाहिए कि आम आदमी को चक्कर पर चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, पेशी पर पेशी से मुक्ति मिलेगी और निर्धारित समय-सीमा में उनके प्रकरणों का निराकरण हो सकेगा। -अनुपम राजीव राजवैद्य anupam.rajiv@epatrika.com