
अभिभावक जागरूक हों
बचपन से ही बच्चों में सिविक सेंस के विकास के लिए अभिभावकों का जागरूक रहना आवश्यक है। बच्चों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता, शिष्टाचार और बड़ों के प्रति सम्मान की भावना पैदा करने के लिए अभिभावकों को इस प्रकार का आचरण करना चाहिए कि बच्चा उससे प्रेरित हो। प्ले स्कूल भी इस संबंध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। - ललित महालकरी, इंदौर
उदाहरण स्थापित कर प्रेरित करें
अभिभावक स्वयं नागरिक दायित्वों की पालना कर उदाहरण रुपी शिक्षा से बाल्यावस्था में ही नागरिक दायित्व का भाव बच्चों में गढ़ने का प्रयास करें। आज की जनरेशन 'लर्न बाय डूइंग' अर्थात क्रियामूलक ज्ञान या एक्शन द्वारा सीखने को प्राथमिकता देती है, जिससे वह हर चीज कम समय में ही सीख लेते हैं। प्रारंभिक शिक्षा में शैक्षणिक शिक्षा के साथ ही चरित्र निर्माण, शिष्टाचार, व्यावहारिक ज़िम्मेदारी और स्वामित्व भाव पर अधिक ध्यान दे कर बच्चों में समाज और राष्ट्र रुपी धरोहर के प्रति आदर और जिम्मेदारी का नागरिक भाव गढ़ने का प्रयास करें। सिविक सेंस की शिक्षा को क्रिया में और क्रिया को आदत में परिवर्तित करने का प्रयास करें। - मानित पाण्डेय, उदयपुर
इसी उम्र में बनती अच्छी आदतें
बचपन से सिविक सेंस विकसित करना आवश्यक है, क्योंकि इसी उम्र में आदतें जल्दी बनती हैं। घर और स्कूल दोनों में बच्चों को सफाई, ट्रैफिक नियमों का पालन, पानी-बिजली बचत और सार्वजनिक स्थानों की जिम्मेदारी जैसी छोटी-छोटी बातों का अभ्यास कराया जाना चाहिए। उदाहरण दिखाकर, कहानियों और गतिविधियों के माध्यम से उन्हें समझाया जाए। ऐसी प्रारंभिक शिक्षा उन्हें जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनाती है। - शुभम् कुमार अत्रे, खरगोन
बच्चों को अनुशासन सिखाएं
स्कूल बच्चों में सिविक सेंस बचपन से जागृत कर सकता है ,क्योंकि शिक्षक और स्कूल स्टाफ यदि खुद अनुशासन, सफाई और नियमों का पालन करेंगे तो बच्चे भी वैसा ही सीखेंगे। विद्यालय न सिर्फ पढ़ाई का स्थान है, बल्कि यह बच्चों में सामाजिक, नैतिक और नागरिक जिम्मेदारियों के बीज बोता है। बच्चे व्यावहारिक कार्यों से ज्यादा सीख लेते है,स्कूल में बच्चों को नियमों का पालन करना, साफ-सफाई रखना, सभी के साथ मिल-जुलकर रहना और सार्वजनिक संपत्ति का सम्मान करना सिखाया जा सकता है। साथ ही सामूहिक गतिविधियां समूह में सफाई अभियान, पौधा-रोपण, जल-संरक्षण कार्यक्रम, स्कूल चुनाव या समाज सेवा के छोटे-छोटे प्रोजेक्ट बच्चों के भीतर जिम्मेदारी और समाज के प्रति सजगता जगाते हैं। खेलकूद और सामूहिक गतिविधियों द्वारा बच्चों में टीम भावना, समानता और दूसरों के प्रति सम्मान पैदा किया जा सकता है। स्कूलों में स्वयंसेवक बनाकर, छात्र परिषद या टीम के द्वारा देश, समाज और स्कूल के प्रति जिम्मेदारी निभाने की आदत डाली जा सकती है। - प्रीति गांधी, कोटा
Published on:
16 Nov 2025 07:05 pm
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