बिहार में दो चरणों में होगा मतदान। (फोटो : फ्री पिक)
Bihar Assembly Election 2025 Live : बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान 6 अक्टूबर की शाम 4 बजे होने वाला है। इसके बाद राज्य में चुनावी आचार संहिता लागू हो जाएगी, जिससे राज्य का प्रशासनिक अमला सीधे चुनाव आयोग के तहत काम करेगा। राज्य सरकार का हस्तक्षेप खत्म हो जाता है। इसके अलावा एक और धारा है, जो वोटिंग से 48 घंटे पहले लागू हो जाती है। यह जैसे ही लागू होती है-राजनीतिक दलों की रैलियां, नेताओं के बयान और मीडिया डिबेट अचानक शांत हो जाती हैं। वोटर को लगता है मानो चुनावी शोर-शराबे पर किसी ने ब्रेक लगा दिया हो। आखिर क्यों? आइए समझते हैं।
Representation of the People Act, 1951 के सेक्शन 126(1)(B) में साफ लिखा है कि मतदान से 48 घंटे पहले और मतदान खत्म होने तक किसी भी प्रकार का इलेक्शन मैटर जनता तक पहुंचाना प्रतिबंधित है। Election Matter के मायने हैं कि कोई भी ऐसा कंटेंट, बयान या सामग्री जो वोटर को प्रभावित करने या चुनाव परिणाम पर असर डालने की कोशिश करे।
यह पाबंदी सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लागू होती है—
टेलीविजन चैनल और रेडियो
अखबार और प्रिंट मीडिया
इंटरनेट वेबसाइट्स और सोशल मीडिया (Facebook, X, YouTube, WhatsApp)
केबल नेटवर्क और FM चैनल
सिनेमा, लाउडस्पीकर और प्रचार के दूसरे माध्यम
यानी चाहे टीवी डिबेट हो या सोशल मीडिया पोस्ट, अखबार का विज्ञापन हो या फेसबुक लाइव-कुछ भी ऐसा नहीं होना चाहिए जिससे वोटर प्रभावित हो।
चुनाव आयोग का मानना है कि वोटरों को वोटिंग से ठीक पहले शांत माहौल मिलना चाहिए। अंतिम दो दिन बहुत संवेदनशील होते हैं। यह वही समय है जब लोग अपना अंतिम फैसला लेते हैं। अगर इस दौरान लगातार भाषण, प्रचार या मीडिया डिबेट चलती रहें तो वोटर दबाव या भावना में बह सकता है। इसलिए, सेक्शन 126 का मकसद है कि वोटर अपने विवेक से बिना किसी बाहरी शोर-शराबे या प्रचार के असर के स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर वोट डाल सके।
अगर कोई व्यक्ति या संस्था इस कानून का उल्लंघन करती है, तो चुनाव आयोग उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकता है। इसमें अधिकतम 2 साल की जेल या जुर्माना या दोनों सजा एक साथ मिलती है।
कोई चुनावी सभा या रैली आयोजित नहीं हो सकती।
किसी उम्मीदवार या पार्टी के पक्ष या विपक्ष में अपील नहीं की जा सकती।
कोई नया विज्ञापन, प्रचार वीडियो या इंटरव्यू प्रसारित नहीं किया जा सकता।
कोई ओपिनियन पोल, एक्जिट पोल या चुनावी सर्वे पब्लिश/ब्रॉडकास्ट नहीं किया जा सकता।
टीवी पैनल डिबेट या अखबार की रिपोर्टिंग में भी चुनावी झुकाव नहीं दिखना चाहिए।
Updated on:
06 Oct 2025 01:38 pm
Published on:
06 Oct 2025 01:01 pm
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