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इनसाइड स्टोरी: दुलारचंद यादव हत्याकांड ने मोकामा में कैसे पलटी बाजी? पढ़िए अनंत सिंह की जीत की कहानी

Bihar Election Results 2025:  मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या के बाद आरजेडी के परंपरागत वोटर  भूमिहार समाज के खिलाफ हो गए थे।  शव यात्रा में वीणा देवी के शामिल होने पर इसकी वजह से ही यादव समाज के लोगों ने उनका विरोध भी किया था। उनका कहना था कि भूमिहारों ने हमारा पगड़ी उजार दिया है, हम उसको कैसे वोट देंगे। 

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Bihar Election Results 2025 अनंत सिंह एक बार फिर मोकामा में जीत गए। लेकिन, यह चुनाव उनके लिए आसान नहीं था। उनके विरोध में सूरजभान सिंह थे। वही सूरजभान सिंह जिन्होंने 2000 के विधानसभा चुनाव में अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को जेल में रहते हुए हराया था। एक बार फिर से अनंत सिंह के सामने थे सूरजभान सिंह। 2025 के विधानसभा चुनाव में सूरजभान सिंह की पत्नी चुनाव मैदान में थी। इसलिए यह मुकाबला रोचक हो गया। दोनों बाहुबली नेता एक ही जाति के भी हैं। इसलिए सूरजभान सिंह के चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही इस बात की चर्चा तेज हो गई कि अनंत सिंह के लिए यह चुनाव आसान नहीं है। इसको लेकर दोनों ओर से वोटरों की गोलाबंदी भी होने लगी।

दुलारचंद की हत्या

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अपने चरम पर था। 06 नवंबर को बिहार में पहले चरण का मतदान होना था। इसको लेकर मोकामा विधानसभा में चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा था। इस बीच, पटना से सटे मोकामा में जन सुराज के समर्थक बाहुबली दुलारचंद यादव की हत्या हो गई। दुलारचंद यादव विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लालू यादव के करीबी थे और किसी बात पर अनबन होने पर वे जनसुराज के प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के लिए चुनाव प्रचार कर रहे थे। प्रचार प्रसार के क्रम में उनकी गोली मारकर और शरीर पर गाड़ी चढ़ाकर हत्या कर दी गई। इस हत्या के बाद मोकामा में बवाल मच गया। इस हत्याकांड को लेकर मोकामा के बाहुबली विधायक अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर हत्या का आरोप लगा। इस हत्या में अनंत सिंह की भूमिका पर भूमिहार समाज के लोग गोलबंद हो गए।

बदल गई बाजी

दुलारचंद की हत्या में अनंत सिंह का नाम आने पर सूरजभान सिंह और अनंत सिंह के नाम पर बंटे मोकामा के भूमिहार एकजुट हो गए। इनकी गोलबंदी इतनी तगड़ी थी कि मोकामा में अनंत सिंह से नाराज चल रहे उनके समाज के लोग भी उनके साथ मिल गए। इसके साथ ही अनंत सिंह को उन लोगों का भी समर्थन मिला जिनकी जमीन पर दुलारचंद यादव ने काफी समय से कब्जा कर रखा था। विधानसभा क्षेत्र की एक बड़ी आबादी की जमीन पर दुलारचंद यादव का बहुत दिनों से कब्जा था। उनकी मौत के बाद उन लोगों ने भी अनंत सिंह को समर्थन कर दिया।

हारी बाजी जीत गए अनंत सिंह

इधर, दुलारचंद यादव की हत्या के बाद शव यात्रा में सूरजभान सिंह की पत्नी के शामिल होने से भूमिहार समाज के लोग नाराज हो गए। वे अब खुलकर अनंत सिंह के साथ हो गए। दुलारचंद यादव की हत्या में अनंत सिंह के नाम आने पर यादव समाज के लोग जो कि आरजेडी के वोटर हैं उन्होंने सूरजभान सिंह का साथ छोड़ दिया। दुलारचंद यादव के शव यात्रा में वीणा देवी के शामिल होने पर यादव समाज ने उनका विरोध भी किया। उनका कहना था कि भूमिहारों ने हमारा पगड़ी उजार दिया है, हम उसको कैसे वोट देंगे। इस प्रकार दुलारचंद यादव की हत्या के बाद सूरजभान सिंह को अपने समाज का परंपरागत वोट बहुत कम मिला। दुलारचंद यादव की हत्या में अनंत सिंह का नाम आने के बाद पार्टी के परंपरागत वोटों ने भी अनंत सिंह का साथ छोड़ दिया। बचा पिछड़ा, अति पिछड़ा, दलित वोटरों को एनडीए के बड़े नेताओं ने साध लिया। इस प्रकार से एक हारी हुई बाजी अनंत सिंह बड़ी आसानी से जीत गए।