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Bihar Assembly Elections: चुनाव में तेज प्रताप यादव करेंगे उलट फेर, इतने सीटों पर बिगाड़ेंगे आरजेडी का खेल

Bihar Assembly Elections तेज प्रताप यादव के गठबंधन से तेजस्वी यादव की पार्टी को कोई विशेष खतरा नहीं है। लेकिन, आरजेडी के संभावित प्रत्याशी को टिकट नहीं मिलने पर उनके बागी होने से ज्यादा खतरा है। आरजेडी के कई संभावित प्रत्याशी तेजस्वी के साथ साथ तेज प्रताप यादव के भी संपर्क में हैं।

tej pratap yadav and tejashwi
तेज प्रताप आरजेडी के कितने सीटों पर बिगाड़ेंगे खेल

Bihar Assembly Elections बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी की चुनौती न केवल भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जदयू है, बल्कि आरजेडी से निष्कासित तेज प्रताप यादव भी बनते जा रहे हैं। तेज प्रताप यादव हर दिन तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी के लिए एक नई मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। पार्टी और परिवार से बेदखल तेज प्रताप यादव अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई के लिए हर वो चाल चल रहे हैं जिससे वे अपने को स्थापित कर सकें। उनकी ये चाल बीजेपी और जदयू से ज्यादा आरजेडी का सियासी खेल बिगाड़ सकता है। सूत्रों का कहना है कि आरजेडी के संभावित प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के संपर्क में भी हैं।

क्यों बागी हुए तेज प्रताप?

दरअसल, तेज प्रताप यादव का पार्टी और परिवार के साथ सियासी जंग तब शुरू हुआ जब एक महिला के साथ “रिश्ते” को लेकर लालू प्रसाद ने उनको पार्टी और परिवार से बेदखल कर दिया। हालांकि, तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट को डिलीट करते हुए दावा किया कि उनका पेज “हैक” हो गया था। लेकिन, लालू प्रसाद ने तेज प्रताप यादव के “गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार” के कारण उनसे नाता तोड़ लिया। तेज प्रताप यादव ने इसके पीछे जयचंद की चर्चा कर पलटवार किया था। इसके बाद वे अपनी बहनों को सोशल साइट पर अनफॉलो कर दिया।

तेज प्रताप का गठबंधन बनाने का ऐलान

पार्टी और परिवार से बाहर निकाले जाने के बाद तेज प्रताप यादव ने अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी। बीजेपी नेता और बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा से उनकी मुलाकात की बिहार में खूब चर्चा हुई। तेज प्रताप यादव के इसपर चुप्पी पर बिहार में कई प्रकार की चर्चा भी हुई थी। इसके बाद उन्होंने भोजपुरिया जन मोर्चा (बीजेएम), विकास वंचित इंसान पार्टी (वीवीआईपी), संयुक्त किसान विकास पार्टी (एसकेवीपी), प्रगतिशील जनता पार्टी (पीजेपी) और वाजिब अधिकार पार्टी (डब्ल्यूएपी) के साथ गठबंधन किया।

निषाद, यादव और अन्य पिछड़े वर्गों पर निशाना

तेज प्रताप यादव ने जिन दलों के साथ गठबंधन किया है आरजेडी को उससे कोई परेशानी नहीं है। पार्टी (आरजेडी) के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने ही दल के बागी से है। जो आरजेडी से टिकट नहीं मिलने पर तेज प्रताप यादव की पार्टी से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। ये खेल बिगाड़ सकते हैं। इसके साथ ही पार्टी का जिन दलों के साथ गठबंधन हुआ है भले ही उनका जमीन पर पकड़ कमजोर है। लेकिन जातीय समीकरण के हिसाब से वे मजबूत हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि तेजस्वी यादव का खेल बिगाड़ने का लिए यह काफी है। क्योंकि तेज प्रताप यादव भी सामाजिक न्याय, सामाजिक अधिकार और बिहार में पूर्ण परिवर्तन की बात कह रहे हैं। आरजेडी भी यही बात कर रही है। इसके साथ साथ परिवार और पार्टी (आरजेडी) पर तो वे कोई हमला नहीं कर रहे हैं लेकिन जयचंद जैसे शब्दों का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं। तेज प्रताप यादव के इस आरोप से लालू परिवार अपने को असहज महसूस कर रहा है।

महागठबंधन के वोट बैंक पर नजर

तेज प्रताप यादव महागठबंधन के साथ बंधन करने की बात तो जरूर करते हैं लेकिन, एनडीए के साथ किसी प्रकार के गठबंधन से वे इंकार करते हैं। तेज प्रताप यादव मुस्लिम, दलित, पिछड़े और अन्य पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने में लगे हैं। सीनियर पत्रकार लव कुमार कहते हैं कि इससे महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। तेज प्रताप के मैदान में आने से लालू के परंपरागत वोट बैंक में सेंघमारी हो सकता है। उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी के नेताओं के कई गठबंधन बनने पर भाजपा और जदयू विरोधी वोटों का विभाजन होगा। इससे महागठबंधन को नुकसान होगा और भाजपा और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए को इससे फायदा होगा ।