
रण कौशल प्रताप सिंह और मनोरमा देवी
Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में जहां राजनीतिक दलों के बीच सियासी मुकाबला तेज है, वहीं उम्मीदवारों की संपत्ति को लेकर भी खूब चर्चा हो रही है। ADR रिपोर्ट के अनुसार इस चरण में कई ऐसे प्रत्याशी हैं जिनकी संपत्ति करोड़ों में है। लेकिन इन सबमें तीन चेहरे ऐसे हैं जिनकी कुल संपत्ति 75 करोड़ से लेकर 368 करोड़ रुपये तक पहुंचती है। दूसरे चरण में कुल 1297 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से लगभग 43 प्रतिशत यानी करीब 562 उम्मीदवार करोड़पति हैं। इन तीन दिग्गजों पर जनता और राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें टिकी हुई हैं।
विकासशील इंसान पार्टी के रण कौशल प्रताप सिंह इस चरण के सबसे अमीर उम्मीदवार हैं। वो पश्चिम चंपारण की लौरिया सीट से मैदान में हैं। उनके पास कुल 368.98 करोड़ों की चल-अचल संपत्ति है। हलफनामे के अनुसार उनके पास लगभग ₹352 करोड़ की गैर-कृषि जमीन, 2.58 करोड़ की कृषि भूमि और 5.51 करोड़ के शेयर और अन्य वित्तीय निवेश हैं। इसके अलावा उनके पास दो फॉर्च्यूनर, एक ऑडी और एक इनोवा सहित कई अन्य लग्जरी गाड़ियां भी हैं। साथ ही 3.4 किलो सोना, हीरे के जेवर, साथ ही विदेशी रायफलें और पिस्टल भी है।
वहीं, उनकी पत्नी सलोनी सिंह के नाम ₹131 करोड़ की संपत्ति और ₹6.59 करोड़ का निवेश दर्ज है। उनका परिवार लंबे समय से राजनीति में सक्रिय रहा है। वे खुद भी पहले कई बार चुनाव लड़ चुके हैं। पिछली बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार वे फिर पूरे संसाधनों और मजबूत चुनावी नेटवर्क के साथ मैदान में हैं।
दूसरे नंबर पर हैं पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नितीश कुमार। पशुपति पारस ने उन्हें गया जी के गुरुआ सीट से उम्मीदवार बनाया है। नीतीश कुमार के पास भारी मात्रा में चल-अचल संपत्ति, फ्लैट, भूमि और वाहनों का बड़ा संग्रह है। हालांकि उनके पास नकद राशि कम दिखाई देती है, लेकिन पिछले पांच वर्षों में उनकी संपत्ति में खासा इजाफा हुआ है। उनकी कुल संपत्ति 250 करोड़ की है। गुरुआ सीट पर इस बार मुकाबला कड़ा माना जा रहा है और नितीश कुमार अपनी आर्थिक क्षमता और स्थानीय आधार पर चुनाव लड़ रहे हैं।
गया के बेलयगंज से जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी इस चरण की सबसे अमीर महिला उम्मीदवार हैं। उनके पास कुल 75 करोड़ की संपत्ति है। जिसमें 40 करोड़ की जमीन, कई बैंक खातों में लाखों रुपये जमा, करोड़ों की बीमा और अन्य निवेश योजनाएं भी हैं। इसके अलावा उनके पास लग्जरी गाड़ियां जैसे फॉर्च्यूनर और लैंड रोवर भी है। सोना और चांदी के भारी जेवर भी हैं।
उनका राजनीतिक सफर 2001 में शुरू हुआ था। वे ब्लॉक प्रमुख, जिला परिषद अध्यक्ष और फिर विधान परिषद सदस्य बनीं। 2020 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन नवंबर 2024 के उपचुनाव में बेलागंज सीट जदयू के पास आ गई। अब उनके सामने इस सीट को बचाए रखने की चुनौती है। इस सीट पर करीब 24 साल तक राजद का दबदबा रहा है, इसलिए यह मुकाबला सिर्फ चुनावी नहीं बल्कि प्रतिष्ठा की लड़ाई भी माना जा रहा है।
Published on:
08 Nov 2025 09:47 am
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