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बिहार चुनाव: हार के बाद टूटा लालू का परिवार, क्या RJD भी होगी दो फाड़?

बिहार चुनाव में राजद 25 सीटों पर सिमट गई है। जिसके बाद लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति से सन्यास और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान किया है। जिसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या राजद भी दो फाड़ हो जाएगी। 

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पटना

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Anand Shekhar

Nov 15, 2025

बिहार चुनाव

राबड़ी देवी, लालू यादव और तेजस्वी यादव (फोटो- लालू यादव फेसबुक)

बिहार चुनाव 2025 में राजद की ऐतिहासिक हार के बाद पार्टी के भीतर उथल-पुथल मच गई है। लालू परिवार के अंदर की कलह अब सीधे परिवारिक विभाजन के रूप में सामने आ चुकी है। लालू यादव का परिवार, जो दो दशक से अधिक समय तक बिहार की राजनीति की धुरी रहा, आज अंदरूनी कलह और पारिवारिक लड़ाई से गुजर रहा है। लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार से नाता तोड़ लिया है और राजनीति से सन्यास ले लिया है। इसके बाद अब बड़ा सवाल केवल यह नहीं रह गया कि परिवार टूटा, बल्कि यह है कि क्या राजद भी दो हिस्सों में बिखरने की ओर बढ़ रहा है?​​

राजद के विभाजन की संभावना कितनी है?

बिहार की राजनीति को समझने वाले सीनियर पत्रकार लव कुमार मिश्रा के अनुसार, राजद के विभाजन की संभावना तो है, लेकिन यह तत्काल घटित नहीं होगा। तेज प्रताप यादव और रोहिणी आचार्य के विद्रोह ने पार्टी के अंदर एक स्पष्ट विरोध का नमूना पेश कर दिया है। यदि लालू प्रसाद यादव, जो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, तेजस्वी को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने और संजय यादव का प्रभाव कम करने में विफल रहते हैं, तो पार्टी के नाराज नेताओं और उपेक्षित परिवार सदस्यों को मिलाकर एक अलग तेजस्वी विरोधी गुट बन सकता है।

लव कुमार मिश्रा की मानें तो राजद के विभाजन को रोकने की जिम्मेदारी अब पूरी तरह लालू प्रसाद यादव पर निर्भर है। अगर वे परिवार में सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं और संजय यादव के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं, तभी राजद अपने अस्तित्व और एकता को बचा पाएगी। अन्यथा, पार्टी का भविष्य एक गंभीर राजनीतिक संकट की ओर अग्रसर दिखाई दे रहा है।​ ऐसा इसलिए भी है क्योंकि संजय यादव को लेकर सिर्फ परिवार के सदस्य ही नहीं राजद के कई नेता भी नाराजगी जाहीर कर चुके हैं।

रोहिणी ने राजनीति से लिया सन्यास

चुनाव परिणामों के तत्काल बाद लालू यादव को किडनी देने वाली बेटी रोहिणी आचार्य ने एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने X पर एक पोस्ट साझा करते हुए राजनीति से सन्यास और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान किया। रोहिणी ने सीधे तौर पर कहा, "संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था और मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।" रोहिणी ने पहले सितंबर 2025 में तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान संजय यादव को तेजस्वी के ठीक आगे की सीट पर बैठाने पर सार्वजनिक रूप से आपत्ति जताई थी। इसके बाद उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों को सोशल मीडिया पर अनफॉलो कर दिया और कुछ समय के लिए सिंगापुर चली गईं।​

तेज प्रताप को पार्टी से किया गया था निष्कासित

इससे पहले मई 2025 में, लालू यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को परिवार और पार्टी दोनों से बाहर कर दिया था। यह निर्णय तेज प्रताप के निजी और सार्वजनिक मतभेद के कारण लिया गया था। तेज प्रताप ने इस निर्णय को "जयचंदों के दबाव में" लिया गया बताया और संजय यादव को सीधे तौर पर जिम्मेदार ठहराया। निष्कासन के बाद तेज प्रताप ने जनशक्ति जनता दल (JJD) नाम से अपनी नई पार्टी बना ली है, जिसने बिहार चुनाव 2025 में कुछ सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए।​​

लालू परिवार के आठ सदस्य सक्रिय रूप से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन महज तीन महीने के अंतराल में परिवार के दो बड़े चेहरों का पार्टी से नाता टूट गया है। राजनीतिक हलकों में यह भी कहा जा रहा है कि रोहिणी और तेज प्रताप के अलावा, बड़ी बेटी मीसा भारती भी असंतुष्ट दिख रही हैं, हालांकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी आपत्ति व्यक्त नहीं की है।​

विवाद में संजय यादव की भूमिका

लालू परिवार में चल रही कलह का मूल कारण तेजस्वी यादव के सलाहकार और वर्तमान राज्यसभा सांसद संजय यादव का बेतहाशा बढ़ता प्रभाव है। संजय यादव, जो तेजस्वी के क्रिकेट जमाने के दोस्त हैं, अब पार्टी की समस्त प्रमुख रणनीति, टिकट वितरण, मीडिया कैम्पेन और तेजस्वी से मिलने के सभी अनुरोधों को संभालते हैं। उनके हाथों में मिली शक्ति ने पार्टी के अंदर नई नियुक्तियों और निर्णयों पर एकाधिकार ला दिया है।​

रोहिणी के विद्रोह के केंद्र में संजय यादव हैं, क्योंकि परिवार के कई सदस्यों को उनका अत्यधिक प्रभाव 'उपेक्षा' जैसा महसूस कराता है। तेज प्रताप द्वारा बार-बार इस्तेमाल किया गया शब्द जयचंद सीधे तौर पर संजय यादव की ओर इशारा करता है, जिन्हें पार्टी के भीतर अनेक नेता पसंद नहीं करते। संजय यादव की प्रभावशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि तेजस्वी से मिलने के लगभग सभी अनुरोध उनके माध्यम से संचालित होते हैं और टिकट वितरण में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।​