Bihar Weather: बिहार और उत्तर भारत ने इस साल भारी मानसून, बाढ़ और उमस का सामना किया। अब मौसम विभाग ने संकेत दिए हैं कि इस बार की सर्दी आम नहीं होगी। ला नीना के असर से इस साल पारा सामान्य से ज्यादा गिरेगा और पाले की अवधि लंबी होगी। अमेरिकी क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना के विकसित होने की संभावना 71% बताई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने भी कहा है कि इस बार मैदानों में पाले की अवधि लंबी होगी और उत्तर भारत ज्यादा प्रभावित होगा।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, ला नीना एल नीनो-सदर्न ऑस्सीलेशन चक्र का ठंडा चरण है। इसमें भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर का पानी सामान्य से ज्यादा ठंडा हो जाता है। इसकी वजह से जेट स्ट्रीम नीचे खिसक जाती है और ठंडी हवाएं एशिया तक पहुंच जाती हैं। इसका सीधा असर भारत पर पड़ता है, जहां ठंडी लहरें लंबी और तेज हो जाती हैं।
हिमालयी क्षेत्र में इस साल सामान्य से ज्यादा बर्फबारी होने की संभावना है, जिससे वहां की नदियों और जलाशयों को काफी फायदा पहुंचेगा, लेकिन अत्यधिक हिमपात के कारण यात्रा और आपूर्ति में कठिनाई आ सकती है, जिससे स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों को परेशानी हो सकती है।
बिहार के मैदानी इलाकों में, लंबे समय तक पाला पड़ने की वजह से रबी फसलों और सब्जियों को नुकसान होने की आशंका बढ़ जाती है, जिससे किसानों की उपज और आजीविका प्रभावित हो सकती है। बिहार के शहरी इलाकों में, तेज ठंडी हवाओं के चलते हीटिंग और बिजली की मांग बढ़ेगी, जिससे ऊर्जा संसाधनों पर दबाव पड़ेगा और साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं पर भी अधिक भार पड़ेगा, खासकर बुजुर्गों व बच्चों के लिए अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होगी।
यह सर्दी पिछले कई सालों की तुलना में ज्यादा कठोर और लंबी हो सकती है। किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाने के लिए पहले से उपाय करने होंगे। आम जनता को भी गर्म कपड़ों, हीटर और स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी करनी होगी।
2024 में IISER मोहाली और ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च की रिपोर्ट में पाया गया कि ला नीना के समय उत्तरी अक्षांशों से बर्फीली हवाएं भारत में गहराई तक पहुंचती हैं। इससे ठंडी लहरों की तीव्रता और अवधि दोनों बढ़ जाती हैं।
फिलहाल बिहार में तीन-चार दिनों तक बारिश कम होगी। लेकिन मौसम विभाग ने कहा है कि 24-25 सितंबर से बारिश का नया दौर शुरू हो सकता है। यानी अभी मानसून विदा नहीं हुआ है। अक्टूबर से तापमान गिरना शुरू होगा और नवंबर-दिसंबर में कड़ाके की ठंड दस्तक दे सकती है।
मौसम विभाग और वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी साफ है कि इस बार ठंड सामान्य से ज्यादा होगी। बिहार समेत उत्तर भारत के लोगों को लंबी और कठोर ठंड का सामना करना पड़ सकता है। किसानों को फसलें बचाने की रणनीति बनानी होगी और आम जनता को भी पहले से तैयारी करनी होगी।
Updated on:
22 Sept 2025 09:10 am
Published on:
22 Sept 2025 09:09 am