Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

BJP ने तेजस्वी को बताया डिल्यूजन का शिकार, कहा- उन्हें चोरी न करने और गलतियां न दोहराने की शपथ लेनी चाहिए

Bihar Election: बिहार चुनाव के दोनों चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है और अब 14 नवंबर को मतगणना से पहले नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज़ हो गई है। तेजस्वी यादव लगातार एनडीए पर हमले बोल रहे हैं, वहीं भाजपा नेता भी पलटवार करने में पीछे नहीं हैं।

2 min read
Google source verification

पटना

image

Anand Shekhar

Nov 12, 2025

तेजस्वी यादव

तेजस्वी यादव (Photo- Tejashwi Yadav X)

Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की वोटिंग प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अब सभी को रिजल्ट का इंतजार है। हालांकि, उससे पहले एग्जिट पोल जारी हुआ, जिससे नेताओं के बीच बयानबाजी तेज हो गई। राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से राजद उम्मीदवार और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने एग्जिट पोल को गलत बताते हुए कहा कि वह 14 नवंबर को शपथ लेंगे। अब भाजपा नेता अजय आलोक ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने तेजस्वी पर तंज कसते हुए कहा कि वे “डिल्यूजन” यानी भ्रम की स्थिति के शिकार हो गए हैं।

तेजस्वी को हो गया है डिल्यूजन- अजय आलोक

भाजपा नेता अजय आलोक ने कहा, “अंग्रेजी में एक शब्द है Delusion, मतलब मानसिक असमंजस। जब ये हो जाता है तो व्यक्ति को 99 सीटों पर जीत का भ्रम हो जाता है, वो खुद को मुख्यमंत्री बना लेता है और सरकार भी बना लेता है। 1977 में इमरजेंसी लगी थी, तब भी कई नेता इसी तरह संसद और सरकार बना लिया करते थे। कोई रिक्शे पर बैठकर वाइस चांसलर बन जाता था, कोई मुख्यमंत्री।”

उन्होंने आगे कहा, “18 तारीख को तेजस्वी यादव को सच में शपथ लेनी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री की नहीं, उन्हें यह शपथ लेनी चाहिए कि उन्होंने जीवन में जितनी चोरी की है, जितनी गलतियां की हैं, जितने गलत पैसे कमाए हैं, वे सब लौटा देंगे और दोबारा ऐसा नहीं करेंगे। यही उनके लिए बेहतर होगा।”

तेजस्वी यादव ने क्या कहा था

राघोपुर से उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने एग्जिट पोल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “हमने पहले भी कहा था कि 14 तारीख को नतीजे आएंगे और 18 तारीख को शपथ ग्रहण होगा। यह निश्चित तौर पर होने जा रहा है। भाजपा और एनडीए के पसीने छूट रहे हैं, वे लोग बौखलाहट में हैं। वोटिंग के दौरान लोग लंबी कतारों में थे और एग्जिट पोल मतदान खत्म होने से पहले ही आ गए। ये सर्वे मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए किए जाते हैं, खासतौर पर उन अधिकारियों पर जो चुनाव प्रक्रिया में शामिल हैं।”