बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव दो वोटर आईडी कार्ड (EPIC) रखने के आरोप में जन प्रतिनिधित्व कानून के घेरे में आ गए हैं। इस मामले में चुनाव आयोग (ECI) ने उन्हें नोटिस भेज कर 24 घंटे में यानी 8 अगस्त तक जवाब देने को कहा है। अगर वे जवाब देने में असफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा सकती है और उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है।
पूरा विवाद 2 अगस्त को शुरू हुआ, जब तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अपना वोटर आईडी कार्ड दिखाया। उन्होंने दावा किया कि उनका नाम बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है और उन्होंने प्रमाण के तौर पर अपना EPIC नंबर RAB2916120 दिखाया। लेकिन जब इस नंबर की जांच चुनाव आयोग की वेबसाइट पर की गई, तो वह नॉन-एक्सिस्टेंट यानी अस्तित्वहीन पाया गया। इसका मतलब यह EPIC नंबर वैध नहीं है। इसके बाद चुनाव आयोग ने जांच शुरू की और पाया कि तेजस्वी यादव का असली और वैध वोटर आईडी कार्ड नंबर RAB0456228 है, जो उन्हें दीघा विधानसभा क्षेत्र के पोलिंग स्टेशन 204 पर, सीरियल नंबर 416 के तहत जारी किया गया था।
चुनाव आयोग ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। दीघा विधानसभा क्षेत्र के इलेक्टर रजिस्ट्रेशन अफसर (ERO) ने तेजस्वी यादव को 3 अगस्त को एक पत्र भेजकर कहा था कि वे मूल वोटर कार्ड और उससे जुड़ी सभी जानकारी 1 दिन के भीतर जमा करें। जब तेजस्वीने कोई रिप्लाई नहीं किया तो आयोग ने दोबारा चेतावनी देते हुए उन्हें 1 दिन की मोहलत दी है। इसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू की जा सकती है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। पार्टी का आरोप है कि यह पूरा मामला BJP के इशारे पर उठाया गया है। तेजस्वी ने पलटवार करते हुए कहा है कि चुनाव आयोग को पहले विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (SIR) को लेकर पार्टी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिस EPIC नंबर को फर्जी कहा जा रहा है, वह शायद पुराने रिकॉर्ड या सिस्टम अपडेट के कारण अस्तित्व में आया हो सकता है।
बीजेपी और उसकी सहयोगी एनडीए ने इस मुद्दे को गंभीर बताते हुए तेजस्वी पर दो निर्वाचन क्षेत्रों से वोटर कार्ड रखने का आरोप लगाया है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह चुनावी धोखाधड़ी है और इसके लिए तेजस्वी पर तुरंत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए।
देश में करीब 96 करोड़ पंजीकृत मतदाता हैं, जिनमें से चुनाव आयोग के अनुसार लगभग 1.2 करोड़ एंट्री डुप्लीकेट, मृत मतदाता या गलत पते वाली हैं। जानकारों के मुताबिक अगर कुल सूची का महज 2% भी डुप्लीकेट हो तो यह संख्या लगभग 1.9 करोड़ होती है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह समस्या और भी ज्यादा गंभीर बताई गई है।
चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि अगर किसी नागरिक के पास गलती से या स्थान परिवर्तन के कारण दो वोटर आईडी कार्ड हैं तो वह खुद इसे ठीक करवाएं।
1; पुरानी या गलत एंट्री को हटवाने के लिए फॉर्म 7 भरें।
2; पुराना EPIC नंबर स्थानीय BLO को जमा करें।
3; डुप्लीकेट कार्ड नजदीकी चुनाव कार्यालय में जमा करें।
अगर यह गलती जानबूझकर नहीं हुई है तो आयोग आमतौर पर दंड नहीं लगाता। लेकिन अगर जानबूझकर दूसरी वोटर आईडी ली गई है जैसे दो बार वोट डालने या फर्जी पहचान के लिए तो कानूनी कार्यवाही हो सकती है। अगर तेजस्वी यादव पर लगे आरोप सही साबित होते हैं और उनके पास दो एक्टिव वोटर कार्ड निकले, तो उनके खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
धारा 31 के तहत झूठे घोषणापत्र या गलत जानकारी देने पर 1 साल की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
धारा 17 के तहत 1 व्यक्ति को 1 से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में नामांकन नहीं करना चाहिए।
धारा 18 के तहत 1 ही निर्वाचन क्षेत्र में दो बार नाम दर्ज कराना अपराध है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि यह गैर-संज्ञेय अपराध है यानी पुलिस तब तक कार्रवाई नहीं कर सकती जब तक कि मजिस्ट्रेट से अनुमति न मिले।
अगर उन पर केस दर्ज होता है और वे दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें न केवल चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, बल्कि सरकार की किसी भी योजना या लाभ से वंचित किया जा सकता है। उनका नाम मतदाता सूची से भी हटाया जा सकता है।
Updated on:
07 Aug 2025 12:21 pm
Published on:
07 Aug 2025 12:17 pm