बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने चुनाव अभियान की कमान अपने हाथों में लेकर पार्टी में नई ऊर्जा भर दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी को चुनावी बिसात में पटखनी देने के लिए उन्होंने कमर कस ली है। लालू की सक्रिय एंट्री के साथ ही कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल बन गया है। पटना से लेकर आरा तक पार्टी दफ्तरों और इलाकाई इकाइयों में कार्यकर्ताओं की हलचल तेज हो गई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, लालू यादव न सिर्फ चुनावी रणनीति तय कर रहे हैं बल्कि सीट-दर-सीट समीकरण की समीक्षा भी खुद कर रहे हैं। वे प्रत्याशियों के चयन में 'विनिंग फैक्टर' यानी जीतने की संभावना को प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके अलावा वे स्थानीय स्तर पर गठबंधनों को पार्टी की व्यापक चुनावी थीम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
लालू यादव की बैठकों में खास जोर बूथ प्रबंधन, टर्नआउट बढ़ाने के लिए सूक्ष्म योजना और जिला इकाइयों व केंद्रीय चुनावी वॉर रूम के बीच तालमेल पर दिया जा रहा है। आरजेडी का चुनावी नैरेटिव नौकरियों, महंगाई, कल्याण योजनाओं की डिलीवरी और मतदाता सूची संशोधन में कथित अनियमितताओं जैसे मुद्दों पर टिका है। लालू इन मुद्दों को लेकर संदेश को पैना करने और जनता तक पहुंचाने पर जोर दे रहे हैं।
लालू के सीधे जुड़ाव का असर पटना में साफ दिखा, जहां पार्टी दफ्तरों में कार्यकर्ताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कार्यकर्ता जिम्मेदारियों के बंटवारे और चुनावी असाइनमेंट के लिए कतारों में नजर आए। वहीं, आरा से मिली रिपोर्ट के अनुसार, नए स्वयंसेवकों की भर्ती, डोर-टू-डोर कॉन्टैक्ट प्लान और डिजिटल आउटरीच की तैयारियां जोरों पर हैं।
आरजेडी की चुनावी गतिविधियां विपक्षी दलों के सार्वजनिक कार्यक्रमों और यात्राओं के साथ तालमेल में रखी जा रही हैं। इसका मकसद पार्टी के संदेश को शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण गढ़ों तक फैलाना है। आने वाले हफ्तों में पार्टी चरणबद्ध रैलियां, नुक्कड़ सभाएं और सोशल मीडिया ड्राइव लॉन्च करने जा रही है।
पार्टी के भीतर यह मान्यता है कि लालू यादव का सबसे बड़ा हथियार उनका पारंपरिक 'गठबंधन बनाने का कौशल' है। वे जातीय समीकरणों को युवाओं और किसानों के मुद्दों से जोड़ने में माहिर हैं। इस बार भी वे महंगाई, शिक्षा, भर्ती प्रक्रियाओं में गड़बड़ी, कृषि संकट और बुनियादी नागरिक सेवाओं जैसे स्थानीय मुद्दों को चुनावी पिच में शामिल कर रहे हैं।
पार्टी नेतृत्व लगातार यह संदेश दे रहा है कि अनुशासित प्रचार और एकजुट कार्यशैली ही कड़े मुकाबलों में जीत की कुंजी होगी। चुनावी अभियान को डेटा-आधारित मॉनिटरिंग से जोड़ा जा रहा है ताकि मतदान प्रतिशत में कमी वाले इलाकों और ‘स्विंग वोटर’ क्लस्टर को पहचाना जा सके।
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Updated on:
16 Aug 2025 01:41 pm
Published on:
16 Aug 2025 01:38 pm