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RJD शासन में 32000 अपहरण, 18000 हत्याएं और 59 नरसंहार… नित्यानंद राय बोले- यही है जंगलराज की असल कहानी

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि जंगल राज का नाम सुनते ही बिहार की जनता डर जाती है क्योंकि वे उस दौर की भयावह स्थिति को भलीभांति जानती हैं। 15 वर्षों में 32 हजार से अधिक अपहरण की घटनाएं हुईं, पुलिस की हत्या, गरीबों को मतदान केंद्र तक जाने से रोकना और 59 नरसंहार जैसी काली घटनाएं राजद के शासनकाल की पहचान थीं।

3 min read

पटना

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Anand Shekhar

Oct 05, 2025

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Photo-IANS)

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और भाजपा नेता नित्यानंद राय ने पटना में पत्रकारों से बात करते हुए बिहार के राजद शासनकाल (1990-2005) की भयावह सच्चाई को उजागर किया। उन्होंने कहा कि लालू यादव और राजद के 15 वर्षों के शासन में 32,000 से अधिक अपहरण, 18,136 हत्याएं और 59 बड़े जातीय नरसंहार हुए। केंद्रीय मंत्री ने इसे बिहार के इतिहास का सबसे काला दौर बताते हुए कहा कि यही असली जंगलराज था।

अपहरण और हत्या, राजद शासन का काला दौर

नित्यानंद राय ने कहा कि राजद शासनकाल में अपराधियों को पूरी तरह संरक्षण मिला था। राजद और लालू परिवार की सरकार के संरक्षण में अपहरण और हत्या बिहार में आम बात बन गई थी। रात-दिन घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं था। 32,000 से अधिक अपहरण, 18,000 हत्याएं और 59 नरसंहार इसका ज्वलंत प्रमाण हैं। केंद्रीय मंत्री ने तेजस्वी यादव को चुनौती दी कि क्या वे बिहार की जनता को बताएंगे कि राजद के शासन में अपराधियों को किस स्तर तक संरक्षण मिला और क्या दोषियों को मुख्यमंत्री आवास तक पहुंचने वाली डील से लाभ मिला।

महिलाओं और कमजोर वर्ग की दुर्दशा

नित्यानंद राय ने कहा कि राजद शासन में महिलाओं की स्थिति भयावह थी। सामान्य महिलाओं के साथ-साथ आईएएस अधिकारियों की पत्नियों तक सुरक्षित नहीं थीं। बलात्कार और अपहरण आम हो गए थे और अपराधियों के हौसले इतने बुलंद थे कि कार्रवाई करने की हिम्मत किसी में नहीं थी। बिहार में महिलाओं की सुरक्षा पूरी तरह ध्वस्त थी। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस दौरान बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर वर्ग के लोगों पर भी अत्याचार होते थे और उनकी रक्षा के लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी।

भ्रष्टाचार का गंगोत्री लालू-राबड़ी का शासन

नित्यानंद राय ने कहा कि राजद शासन केवल अपराध और गुंडाराज तक ही सीमित नहीं था, बल्कि भ्रष्टाचार भी चरम पर था। उन्होंने चारा घोटाला, दूध घोटाला, सरकारी नौकरी और जमीन घोटाला, आईआरसीटीसी घोटाला, पटना चिड़ियाघर में मिट्टी घोटाला जैसी घटनाओं का जिक्र किया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि लालू-राबड़ी परिवार की संपत्ति और उनके समर्थकों के हितों के लिए भ्रष्टाचार का तंत्र चलता था, जबकि आम जनता को कोई लाभ नहीं मिलता था।

लोकतंत्र और कानून की धज्जियां

नित्यानंद राय ने कहा कि इस दौरान चुनावी हिंसा आम थी। 1990 से 2004 के बीच विधानसभा और लोकसभा चुनावों में 700 से ज्यादा लोगों की जान गई, जिनमें 50 से अधिक पुलिसकर्मी भी शामिल थे। लोकतंत्र के नाम पर राजद ने लूटतंत्र को स्थापित किया। केंद्रीय मंत्री ने तेजस्वी यादव से सवाल किया कि क्या वे पीड़ित परिवारों से मिलकर दुख व्यक्त करेंगे और उन्हें मुआवजा देंगे। उन्होंने चेताया कि बिहार के लोग अब जागरूक हैं और ऐसे नेताओं को पहचान रहे हैं जो सत्ता के संरक्षण में अपराध फैलाते हैं।

जातीय नरसंहार और गुंडाराज की हकीकत

नित्यानंद राय ने खुलासा किया कि राजद शासनकाल में 59 बड़े जातीय नरसंहार हुए। इनमें 600 से अधिक लोगों की जान गई। उन्होंने तेजस्वी यादव से सवाल किया कि क्या वे स्वीकार करेंगे कि उनके शासन में नरसंहार होते रहे और पीड़ितों को न्याय नहीं मिला। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राजद शासन में दुकानों, मकानों और जमीनों पर अवैध कब्जा करना भी आम बात थी। पटना के कारोबारी आज भी याद करते हैं कि लालू यादव की बेटी की शादी से पहले और शादी के दिन राजद के गुंडों ने दुकानों को लूटा था।

भ्रष्टाचार और लोकतंत्र का मोल

नित्यानंद राय ने कहा कि राजद शासन में भ्रष्टाचार, अपहरण, हत्या और बलात्कार के साथ-साथ लोकतंत्र का भी गला घोंटा गया। उन्होंने तेजस्वी यादव से सवाल किया कि क्या वे बिहार के लोगों से कहेंगे कि राजद सरकार ने आपके दुकान, मकान और जमीन को लूटवाने में मदद की? केंद्रीय मंत्री ने चेताया कि बिहार की जनता अब जागरूक है और किसी भी ऐसे नेता को माफ नहीं करेगी जिसने सत्ता का दुरुपयोग किया।

जंगलराज की असली कहानी

नित्यानंद राय ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा, “राजद शासनकाल में बिहार में गुंडाराज, अपहरण, हत्या, बलात्कार और जातीय नरसंहार का माहौल रहा। यह वही जंगलराज है, जिसका लोगों ने दर्द भोगा। अब चुनाव के समय ऐसे नेताओं को मौका नहीं मिलेगा। तेजस्वी यादव जी, बिहार के लोगों को बताइए कि आपके शासन में ऐसा क्यों हुआ?”


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