पप्पू यादव -Pappu Yadav FB
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार की अंतिम मतदाता सूची (एसआईआर के बाद प्रकाशित) को लेकर चुनाव आयोग से कई गंभीर सवाल पूछे हैं। बुधवार को सोशल मीडिया पर सवालों की बौछार करते हुए पप्पू यादव ने चुनाव आयोग को सीधे चुनौती दी और पूछा कि इस सूची में कितने रोहिंग्या, बांग्लादेशी, म्यांमारी और घुसपैठिए पाए गए। चुनाव आयोग बूथवार इसका डेटा जारी करे।
सांसद ने चेतावनी दी कि चुनाव आयोग अब एक हलफनामा दाखिल करे जिसमें कहा गया हो कि बिहार की मतदाता सूची में कोई विदेशी मतदाता नहीं है, वरना उसे देश से माफी मांगनी पड़ेगी। उन्होंने लिखा, "भाजपा की झूठ और नफ़रत की एजेंसी को चुनाव आयोग बनाने के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।"
पप्पू यादव ने अपने पोस्ट में बिहार और महाराष्ट्र के मतदाता आंकड़ों की तुलना करते हुए सवाल उठाया कि बिहार में क्यों घटे 47 लाख मतदाता जबकि महाराष्ट्र में मात्र चार महीने में 40 लाख वोटर बढ़ गए।
उन्होंने लिखा, 'हम बिहारी बदनाम हैं कि हम बहुत बच्चे पैदा करते हैं, जनसंख्या वृद्धि दर में हम सबसे आगे हैं तो वोटर वृद्धि दर में महाराष्ट्र कैसे सबसे आगे है? 2024 के लोक सभा चुनाव के बाद मात्र चार महीने में महाराष्ट्र में 40 लाख वोटर बढ़ गए थे। जबकि बिहार में 47 लाख मतदाता घट गए ऐसा कैसे? नए जुड़े भी मात्र साढ़े 21 लाख। बीजेपी का इलेक्शन कमीशन जवाब दो।'
पप्पू यादव ने आगे लिखा, 'SIR के नाम पर बिहार में नब्बे लाख से अधिक के वोट की हेराफेरी हुई है। लोकतंत्र को नीलाम करने का खेल है, SIR से पहले बिहार में 7.89 करोड़ मतदाता थे, अब 7.419 करोड़ मतदाता हैं। मतलब बिहार में भी 47 लाख मतदाता घट गए, बिहार की कुल व्यस्क आबादी सवा आठ करोड़ है और मतदाता साढ़े सात करोड़ भी नहीं है। 83 लाख व्यस्क आबादी मतदाता क्यों नहीं है।'
पप्पू यादव ने चुनाव आयोग से पूछा कि, 'चुनाव आयोग ने 69.3 लाख लोगों का नाम मतदाता सूची से काट दिया। मेरा सवाल है इसमें कितने लोगों या उनके परिजनों को चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा था। राहुल गांधी जी के खुलासे पर कहा था बिना नोटिस एक मतदाता का नाम नहीं कट सकता। चुनाव आयोग एफिडेविट दे कि अब एक मृत व्यक्ति या डबल एंट्री मतदाता सूची में नहीं है।'
निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने अपने पोस्ट में इसे लोकतंत्र को नीलाम करने वाला खेल बताया। उनका कहना है कि SIR के आधार पर वोटर लिस्ट में इतनी बड़ी कटौती लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को बूथवार जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए कि सूची में कितने रोहिंग्या, कितने बांग्लादेशी, कितने म्यांमार और अन्य घुसपैठिए मतदाता हैं।
Updated on:
01 Oct 2025 02:36 pm
Published on:
01 Oct 2025 02:35 pm
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