pawan singh and upendra kushwaha (Photo-Patrika)
Bihar Chunav: बिहार की राजनीति में भोजपुरी पावरस्टार पवन सिंह का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। गाने और फिल्मों से लेकर राजनीति तक, उनकी हर चाल सुर्खियाँ बन जाती है। 2024 लोकसभा चुनाव में जब पवन सिंह ने काराकाट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर NDA को करारा झटका दिया था, तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि महज़ एक साल बाद वही पवन सिंह NDA के ‘चुनावी स्टार’ बनकर वापसी करेंगे।
सूत्रों की मानें तो 5 अक्टूबर को पवन सिंह औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली में उनकी मुलाक़ात एनडीए सहयोगी और आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा से हुई, जहां भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और युवा नेता ऋतुराज सिन्हा भी मौजूद थे। इस मीटिंग के बाद कयास अब अटकलों में नहीं, बल्कि हकीकत की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं।
2024 में NDA ने काराकाट सीट से उपेंद्र कुशवाहा को उतारा था, लेकिन पवन सिंह ने टिकट न मिलने पर बगावत कर दी। नतीजा – NDA का वोट बैंक बिखर गया और गठबंधन को हार झेलनी पड़ी। पवन सिंह भले ही जीत न पाए, लेकिन उनके दमदार प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि भोजपुर बेल्ट में उनकी स्टार पावर वोटों में बदल सकती है। अब बीजेपी इसी ताकत को अपने पक्ष में भुनाने की तैयारी कर रही है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि पवन सिंह को आरा विधानसभा सीट या फिर अपने पुराने गढ़ काराकाट से उतारा जा सकता है। भोजपुरी बेल्ट में राजपूत वोटरों पर उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। यही वजह है कि भाजपा उन्हें एक बड़े ‘राजपूत फेस’ के तौर पर पेश करने की रणनीति बना रही है। वो भी वैसे वक्त पर जब आरा से सांसद रहे चुके बीजेपी का एक बड़ा राजपूत चेहरा आरके सिंह के नाराज होने की खबरें सामने आ रही हैं।
पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह भी अब राजनीति में सक्रिय हो चुकी हैं और चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं। यानी बिहार की राजनीति में एक नया ‘पावर कपल’ एंट्री मारने जा रहा है। अगर दोनों अलग-अलग सीटों से मैदान में उतरते हैं, तो विपक्ष के लिए यह सिरदर्द साबित हो सकता है। ज्योति सिंह ने फरवरी में घोषणा की थी कि वह विधानसभा चुनाव लड़ेंगी, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया था कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगी और अब तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है।
एनडीए के रणनीतिकार मानते हैं कि पवन सिंह की स्टार पावर का असर सिर्फ काराकाट या आरा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे शाहबाद और भोजपुरिया बेल्ट में बीजेपी को फायदा मिलेगा। यही वजह है कि विपक्ष में बेचैनी बढ़ गई है। खासकर आरजेडी और कांग्रेस को डर है कि युवा और ग्रामीण वोटर NDA के पाले में खिसक सकते हैं।
लोकसभा चुनाव में बगावत करने वाले पवन सिंह को वापस लाना बीजेपी का बड़ा कदम है। यह सिर्फ ‘घर वापसी’ नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का वह दांव है, जो अक्टूबर से लेकर नवंबर-दिसंबर तक बिहार की सियासत को हिला सकता है।
Published on:
30 Sept 2025 01:11 pm
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